महागठबंधन के विधायक आलमगीर आलम और सत्यानंद भोक्ता को कैबिनेट मंत्री का भी शपथ दिलाई गई
Ranchi: झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन ने चंपई सोरेन को नया नेता चुने जाने के बाद राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने राजभवन के दरबार हाल मे मुख्य मंत्री पद की शपथ दिलाई।हेमंत सोरेन की जगह वह राज्य के आज झारखंड के 7 वें सीएम के रूप में चंपई सोरेन में आज दिन में राजभवन शपथ लिया।चम्पाई सोरेन के साथ साथ काग्रेस कोटे से विधायक आलमगीर आलम और राजद के विधायक सत्यानंद भोक्ता को भी कैबिनेट मंत्री के रूप मे शपथ दिलाई गई।
हलांकि यह कयास लगाया जा रहा था की झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक शिबू सोरेन के पुत्र जो दुमका के विधायक है उन्हे उप मुख्य मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है परन्तु बंसत सोरेन राजभवन में नजर नही आये। मोर्चा की चर्चित विधायक शिबू सोरेन की बड़ी पतोहू सीता सोरेन भी राजभवन में नजर नही आई। सूत्र बताते है की वो नाराज चल रही है। हेमंत सोरेन के जेल जाने पर उन्होने मुख्य मंत्री पद के लिए दावेदारी ठोक दी थी। जबकि हेमंत और महागठबंधन के सदस्य हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्य मंत्री पद पर सहमती बनाई थी। इस घरेलू संग्राम में अन्तिम क्षण में चम्पाई सोरेन का नाम लाया गया।
सूत्र का कहना है की राज्यपाल ने चम्पाई सोरेन को फ्लोर टेस्ट के लिए दस दिन का समय दिया है।इधर महागठबंधन में फुट को ध्यान मे रखकर आज शपथ ग्रहण के बीच ही 35 विधायक को चार्टर विमान से सुरक्षित हैदराबाद भेजने की तैयारी कर ली गई। सूत्र का कहना है की महागठबंधन मे सब कुछ ठोस और ठीक नही चल रहा है ।मोर्चा और कांग्रेस के कुछ विधायक पाला बदलने की तैयारी मे है।
कल देर रात विधायक दल के नेता चंपई सोरेन साथ में पूर्व मंत्री आलमगीर आलम राज भवन में राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन से मुलाकात कीउसके बाद राजपाल शपथ लेने के लिए निमंत्रण दिया।चम्पाई सोरेन हेमंत सोरेन की सरकार में परिवहन मंत्री थे।चम्पाई सोरेन शिबू सोरेन के विश्वास पात्र माने जाते है।
68 वर्षीय चंपई सोरेन कोल्हान प्रमंडल के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं।वह हेमंत सोरेन के सबसे विश्वस्त माने जाते रहे हैं।चंपई सोरेन झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन के अनन्य सहयोगी रहे हैं। कई मौकों पर सीएम हेमंत सोरेन को इनका पैर छूते हुए भी देखा गया है. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि झामुमो में इनकी अहमियत कितनी है।
कहा यह भी जाता है कि चाहे मामला सरकार का हो या पार्टी का, अहम विषयों पर हेमंत सोरेन इनसे सलाह-मशवरा जरूर करते रहे हैं। चंपई सोरेन को लोग ‘झारखंड टाइगर’ के नाम से भी बुलाते हैं। चंपई ने 1991 में पहली बार उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी. वो जीत इसलिए बड़ी थी क्योंकि उन्होंने कद्दावर झामुमो सांसद कृष्णा मार्डी की पत्नी को हराया था। बाद में 1995 में झामुमो के टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन, वर्ष 2000 में बीजेपी के अनंतराम टुडू से चुनाव हार गए थे. इसके बाद वर्ष 2005 से लगातार सरायकेला से विधायक रहे हैं।
2019 में इन्होंने भाजपा के गणेश महली को हराया था।चंपई सोरेन का जन्म सरायरकेला के जिलिंगगोड़ा में 1956 में सेमल सोरेन और माधव सोरेन के घर हुआ। अपने तीन भाइयों और एक बहन में ये सबसे बड़े हैं।शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो ये मैट्रिक पास हैं। इनकी शादी मानको सोरेन से हुई है और इनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं।हेमंत सरकार मे चम्पाई सोरेन परिवहन मंत्री थे।