Ranchi: राज्य सरकार के 29 दिसंबर को चार साल पूरे होने पर प्रदेश भाजपा ने गुरुवार को आरोप पत्र जारी किया। पांच सदस्यीय समिति द्वारा तैयार आरोप पत्र जारी किया गया। प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि एनडीए ने अब तक 13 साल शासन किया यानी 4764 दिन सरकार में रहा। यूपीए ने 10 साल यानी 3625 दिन तक राज किया है। इसी दौरान यूपीए गठबंधन की सरकार में अधिक बार राष्ट्रपति शासन रहा है।
बाबूलाल ने केंद्र की उपेक्षा के आरोप को गलत ठहराया
भाजपा ने जितना भी काम किया है, वह किसी से छुपा नहीं है। जेएमएम ने क्या काम किया है यह भी किसी से छुपा नहीं है। यहां की सरकार लगातार ये आरोप लगाती है कि केंद्र सरकार मदद नहीं कर रही है। आरोप पत्र में लिखा है कि यदि देश में नौ करोड़ 59 लाख पीएम उज्ज्वला योजना का लाभ मिला है तो झारखंड में 35 लाख 27 हजार 135 लोगों को इस योजना का लाभ मिला है।
तीन करोड़ लोगों को पीएम आवास का लाभ पूरे देशभर में मिल रहा है तो झारखंड में 15 लाख 84 हजार 185 लोगों को इस योजना का लाभ मिला है लेकिन हमने आरोप पत्र के माध्यम से सब कुछ बयां कर दिया है कि आखिर केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ झारखंड की जनता को कितना मिला है? ये अलग बात है कि झारखंड सरकार लोगों तक उन योजनाओं का लाभ नहीं पहुंचा पाती है, जो अनाज भी रहता है वह जनता को दे नहीं पाती है।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि सरकार बनी थी तो वादा किया गया था कि पांच लाख नौकरियां देंगे। नौकरी नहीं दे पाए तो बेरोजगारी भत्ता देंगे लेकिन न तो नौकरी दे पाए और न ही बेरोजगारी भत्ता दे पाई हेमंत सोरेन सरकार। यदि पूरे देश में कहीं भ्रष्टाचार की चर्चा होती है तो वह झारखंड की होती है। कोयला का अवैध खनन हो रहा है। बालू की अवैध ढुलाई हो रही है। सरकारी अफसर बिना पैसे के कोई काम नहीं करते। इसके पीछे की वजह राज्य के मुखिया ही हैं। ये खुद बेईमान अफसरों को बचाने में लगे हुए हैं। महंगे-महंगे वकील कर कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। खुद मुख्यमंत्री को ईडी का छह समन आ चुका है लेकिन डर के मारे एक बार भी ईडी ऑफिस नहीं जा सके हैं।
केंद्र का मिलता रहा है सहयोग
उन्होंने कहा कि देश में 37 करोड़ जबकि यहां 2.20 करोड़ को आयुष्मान कार्ड मिला है। 11 करोड़ 72 लाख को शौचालय योजना का लाभ देश में मिला है जबकि झारखंड में 40 लाख 8 हजार 283 को दिया जा चुका है। 11 करोड़ 27 लाख किसानों को किसान सम्मान निधि का लाभ देश भर में मिला है। झारखंड में भी 27 लाख लाभान्वित हो चुके हैं। देश में 16 आईआईएम खुले हैं जबकि यहां एक। देशभर में सात आईआईटी खोले गये जबकि इनमें से एक का लाभ इस राज्य को भी मिला है।
आरोप पत्र के मुताबिक इस वर्ष बजट अनुमान के अनुसार झारखंड सरकार द्वारा कैपिटल आउटलेट पर 21,248 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया था। सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2023 तक मात्र 7868 करोड़ रुपये यानी 37 प्रतिशत ही खर्च किया गया। झारखंड सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कारण विकास की योजनाएं ठप्प रहीं। झारखंड सरकार के बजट के अनुमान के अनुसार उसके पास 2023-24 में खर्च करने को लगभग 1,01,101 करोड़ की राशि है, जिसमें लगभग 50,218 करोड़ का योगदान केंद्र सरकार कर और ग्रांट के रुप में दे रही है। पिछले वर्ष की तुलना में केंद्र सरकार का योगदान 9.61 प्रतिशत बढ़ा है और आंकड़ों को देखें तो झारखंड सरकार के पास अपार साधन हैं पर खर्च करने की सही नीयत नहीं है।
सरकार ने युवाओं, महिला, आदिवासी सहित हर वर्ग के साथ धोखा किया है। सरकार बनने पर एक साल में 5 लाख नौकरी नहीं तो राजनीति से संन्यास की बात की थी लेकिन इस पर विफल है। अबतक अपने पूरे कार्यकाल में भी वह 5 लाख का एक प्रतिशत भी युवाओं को नौकरी नहीं दे सकी है। विधानसभा में स्वीकार किया है कि केवल 357 को ही नौकरी दी है। सरकार की नियोजन नीति 2021 को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया। संकल्प लाकर स्थानीय और नियोजन नीति बनाने की बजाए 9वीं अनुसूची का बहाना लाकर उसने अपनी झूठी नीयत दिखाई है। 1932 खतियान विधेयक को पहले ही विधि आयोग ने असंवैधानिक करार दिया है। राज्य में 90 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं। झारखंड में 7,27,300 रजिस्टर्ड बेरोजगार हैं।
इस मौके पर प्रदेश संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह, घोषणा पत्र के संयोजक अरुण उरांव, प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाडंगी, मीडिया प्रभारी शिव पूजन पाठक, सह प्रभारी योगेंद्र प्रसाद सिंह के अलावा रविनाथ किशोर और सुनीता सिंह मौजूद थीं।