Ramgarh: रामगढ़ थाने के हाजत में अनिकेत उर्फ कोका की मौत मामले में एसपी पीयूष पांडे ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया। उन्होंने बताया कि अनिकेत के पिता महेंद्र राम और मां रीना देवी ने कहा है कि पुलिस के अत्याचार से अनिकेत की मौत हुई है लेकिन सच्चाई इसके ठीक विपरीत है।
एसपी ने बताया कि तीन दिन पूर्व चैम्बर ऑफ कॉमर्स रामगढ़ के कार्यालय में हुई चोरी की घटना से संबंधित अनुसंधान के क्रम में अनिकेत भुइयां उर्फ कोका को संदिग्ध पाते हुए रामगढ़ थाना में पूछताछ के लिए लाया गया था। 22 फरवरी को पूर्वाह्न 10:20 बजे थाना प्रभारी को सूचना मिली कि अनिकेत ने कंबल को फाड़कर और उसका फंदा बनाकर रामगढ़ थाना हाजत के अंदर बाथरूम के दरवाजे के कोने से लटककर खुदकुशी का प्रयास किया है। अविलंब उसे सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने इलाज के उपरांत उसे मृत घोषित कर दिया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को दी गई सूचना
एसपी ने बताया कि इस विषय में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखित में सूचना दे दी गई है। आयोग के दिशा-निर्देशों के आलोक में दंडाधिकारी एवं वीडियोग्राफर की मौजूदगी में पोस्टमॉर्टम कराया गया है। इस घटना की न्यायिक जांच के लिए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को लिखित प्रतिवेदन भेजा गया है। इस पूरे प्रकरण में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशा-निर्देशों का अक्षरशः अनुपालन किया जा रहा है। एसपी ने बताया कि निश्चित ही इस तरह की घटना होना दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन इसमें पुलिस के कथित अत्याचार की बात सामने नहीं आयी है। यह प्रथम दृष्ट्या खुदकुशी का मामला प्रतीत होता है।
एफएसएल की टीम ने रामगढ़ थाने के हाजत में लिए नमूने
थाने के हाजत में अनिकेत की खुदकुशी के मामले में फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की टीम शुक्रवार को रामगढ़ पहुंची। टीम के सदस्यों ने थाने के हाजत से कई सैंपल जुटाए हैं।पुलिस के अनुसार 21 फरवरी की रात जब अनिकेत उर्फ कोका को रामगढ़ थाने लाया गया था तब उसे हाजत में ही रखा गया था। हजरत में उसे पुलिस ने एक कंबल दिया था, जिसे फाड़ कर उसने हाजत के शौचालय में ही खुद को फांसी लगाई थी। शौचालय के आसपास और हाजत में जिस स्थान पर अनिकेत रुका था, वहां से टीम को कई सबूत मिले हैं। जल्द ही फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की टीम अपनी रिपोर्ट जिला शासन को सौंप देगी।
36 घंटे के बाद भी अनिकेत के परिजनों ने नहीं उठाया शव, प्रशासन से वार्ता विफल
अनिकेत की खुदकुशी के 36 घंटे के बाद भी उसका शव परिजनों ने नहीं उठाया है। हालांकि, सामाजिक तौर पर एक बार शुक्रवार की शाम अनिकेत के पिता कुछ लोगों के साथ रामगढ़ थाना पहुंचे।अधिकारियों से उन्हें कानून की हर प्रक्रिया की जानकारी देते हुए पूरा सहयोग करने का आश्वासन मिला लेकिन परिजन और सामाजिक संगठन के लोग इस मुद्दे पर पुलिस पदाधिकारी को ही दोषी ठहराने पर अड़े रहे। अंततोगत्वा प्रशासन और परिजनों की यह वार्ता विफल हो गई। अनिकेत का शव समाचार लिखे जाने तक शवगृह में ही पड़ा हुआ था। परिजन और सामाजिक कार्यकर्ता मुआवजे और अन्य सरकारी सहायता की मांग को लेकर घर पर ही बैठे हुए हैं जबकि प्रशासनिक अधिकारी थाने में बैठकर परिजनों का इंतजार करते रह गए।
रामगढ़ पुलिस अनिकेत की मौत पर डाल रही पर्दा : सीपी चौधरी
अनिकेत के परिजनों से मिलने के लिए सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी भी उसके घर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि रामगढ़ पुलिस अनिकेत की मौत पर पर्दा डाल रही है। अनिकेत के साथ मारपीट हुई है। उसके शरीर पर पड़े हुए निशान इस बात की गवाही दे रहे हैं।
चौधरी ने कहा कि जिस युवक को उसके पिता के सामने पूछताछ के लिए थाना ले जाया गया, आखिर उसने आत्महत्या क्यों की? यह एक बड़ा सवाल है। ऐसा कभी भी नहीं होता है। पुलिस अपनी करतूत को छुपा रही है। सांसद ने कहा कि इस मुद्दे पर राज्य सरकार को भी संज्ञान लेना चाहिए और पूरे मामले की उचित जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही कहा कि फिलहाल मृतक के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने रामगढ़ में अनिकेत के परिजनों से की मुलाकात, पुलिस प्रशासन को ठहराया दोषी
नेता प्रतिपक्ष अमर बावरी ने रामगढ़ थाने में खुदकुशी करने वाले युवक अनिकेत उर्फ कोका के परिजनों से शुक्रवार की शाम शहर के मिलोनी क्लब स्थित आवास पर मुलाकात की। बावरी ने कहा कि एक गरीब परिवार के बच्चे की हत्या पुलिस अत्याचार की वजह से हो गई। आज जिला प्रशासन पूरी कानूनी प्रक्रिया का ढोल पीट रहा है। यह कोई विशेष तौर पर नहीं किया जा रहा। यह सारी प्रक्रिया एक प्रोटोकॉल है, जिसको फॉलो किया जा रहा है।
बावरी ने कहा कि एक नागरिक को जो संवैधानिक अधिकार मिले हुए हैं, उन सभी अधिकारों को ताक पर रखकर युवक को थाने ले जाया जाता है। उसे प्रताड़ित किया जाता है और उसके परिवार वालों को यह बताने की भी कोशिश नहीं की जाती कि किस मामले में उसे हिरासत में लिया गया है। इसके बाद उस युवक की मौत हो जाती है और परिजनों को उससे मिलने नहीं दिया जाता। यह सारी चीजें इस बात की और इशारा कर रही हैं कि प्रशासन मामले पर पर्दा डाल रहा है।
बावरी ने रामगढ़ एसपी के आधिकारिक बयान पर भी टिप्पणी की और कहा कि एक बड़े घर का युवक होता तो पुलिस पहले वारंट जारी करती या नोटिस जारी करती लेकिन एक गरीब परिवार का बच्चा था, इसलिए उसे होटल से उठाकर थाने ले जाया गया। झारखंड में प्रशासनिक अधिकारियों की मनमानी इसी तरीके से चल रही है।
नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाबरी ने जिला प्रशासन से 15 लाख रुपये मुआवजा अनिकेत के परिजनों को देने की मांग की है। साथी कहा कि इस गरीब परिवार को आवास बनाने के लिए जमीन भी दिया जाना चाहिए। इस परिवार की बदहाल स्थिति को देखकर प्रशासनिक अधिकारियों को खुद यह सब काम करना चाहिए था। आज जब मैं यहां आया हूं तो इस समय भी जिले का कोई अधिकारी यहां मौजूद नहीं है। इससे पहले भी कोई अधिकारी उनके घर पर सुध लेने नहीं आया। इसका मतलब साफ है कि इस पूरे मामले पर पर्दा डाला जा रहा है।