बेगूसराय।
देशभर में रविवार को भादो महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप अनंत पूजा होगी। इसको लेकर हर घर में तैयारी पूरी हो गई है। इस अवसर पर इस वर्ष ग्रहों के अद्भुत संयोग के कारण अनंत पूजा का महत्व और अधिक बढ़ गए हैं।
ज्योतिषी अनुसंधान केंद्र गढ़पुरा के संस्थापक पंडित आशुतोष झा ने बताया कि अनंत पूजा पर इस बार मंगल बुध और सूर्य एक साथ कन्या राशि में विराजमान करेंगे। इस योग में की गई पूजा अर्चना का महालाभ मिलता है। पूजा का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 6.07 बजे से है।उन्होंने बताया कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु के आदि और अंत का पता नहीं है। इसलिए उनके अनंत स्वरूप की पूजा होती है। इस व्रत में पूजा करने और अनंत सूत्र बांधने से बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
ग्रंथों के अनुसार चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने सृष्टि की शुरुआत में चौदह लोक ,तल,अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल,भु,भुव,स्व,जन,तप,सत्य और मह की रचना की थी। इन लोकों की रक्षा और पालन के लिए भगवान विष्णु स्वयं भी चौदह रूपों में प्रकट होकर अनंत प्रतीत होने लगे। अनंत सूत्र के सभी गांठों में भगवान के अलग-अलग नामों से पूजा होते हैं। पूजन के बाद पुरुष दाहिनी हाथ और स्त्री बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधते हैं। इससे सभी पापों से छुटकारा मिलता है। चतुर्दशी में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनंत स्वरूप में रहते हैं।
अनंत पूजा में प्रचलित कथा के अनुसार पांडवों के राज्यहीन होने पर श्री कृष्ण ने उन्हें चतुर्थ चतुर्दशी व्रत करने की सलाह दी थी। इसके बाद युधिष्ठिर ने परिवार संघ चाैदह वर्ष तक व्रत किया और महाभारत के युद्ध में विजय रहे।