भागलपुर। पति के बीमार होने के बाद जिले के जगदीशपुर प्रखंड निवासी पूनम चौधरी ने पूरे परिवार का बोझ स्वयं उठाने का साहस दिखाया है। महिला सशक्तिकरण को परिभाषित करते हुए पूनम ऑटो की स्टेयरिंग संभालकर परिवार का भरण पोषण कर रही है। बीमार पति का इलाज के साथ बेटे-बेटी को शिक्षा दिलाने का काम कर रही है। ताना देने वाले लोग भी अब पूनम के जज्बे को सलाम कर रहे है। जानकारी अनुसार पति के बीमार पड़ने के बाद घर की माली हालत नाजुक हो गई थी। ऐसे में पूनम ने स्वयं कमाने का बीड़ा उठाया। पहले छोटे छोटे वाहन चलाए और दो वर्षो से ऑटो चलाकर पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठा रही है।
पूनम चौधरी प्रतिदिन जगदीशपुर से यात्रियों को ढोकर भागलपुर तक लाती है और फिर भागलपुर शहर में दिनभर ऑटो रिक्शा चलाने के बाद शाम को जगदीशपुर जाने वाले यात्रियों को लेकर वापस घर जाती हैं।सामाजिक ताना सुनने के बावजूद उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया और आज भी अपनी जिम्मेवारी बखूबी निभा रही हैं। हालांकि उन्हें किसी तरह की कोई सरकारी या गैर सरकारी सहायता नहीं मिली है। फिलहाल पूनम चौधरी नारी सशक्तिकरण का रोल मॉडल बन गई हैं।ताना देने वाले लोग अब उनके जज्बे की सराहना कर रहे हैं।
पूनम चौधरी बातचीत में बताया कि पति के बीमार होने के बाद परिवार को चलाने का दायित्व उनके कंधे पर आ गया। शुरुआत में उन्हें काफी परेशानी हुई। लेकिन हिम्मत और धैर्य के आगे सब कुछ आसान होता चला गया। उन्होंने बताया कि ऑटो चलाने वाले लोगों को देखकर उन्होंने ऑटो चलाना सिखा। साथ ही उन्होंने ने ड्राइविंग लाइसेंस भी बनवा लिया। ऑटो चलाने के दौरान लोग उनपर फब्तियां भी कसा करते थे। लेकिन धीरे-धीरे वही लोग उनकी सराहना करने लगे। फिलहाल पूनम अपने 9 वर्षीय बेटे और 15 वर्षीय बेटी को पढ़ा रही हैं। साथ ही अपने बीमार पति का इलाज भी कर रही हैं। पूनम ने बताया कि सुख दुख जीवन के दो पहलू हैं। दुख तो भगवान श्री राम को भी हुआ था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। भगवान श्री राम उनके आदर्श हैं।