रांची। केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से देवघर डीसी को हटाए जाने के आदेश पर राज्य में सियासत गर्म हो गई है। सत्ताधारी दल झामुमो और भाजपा इस मुद्दे पर एक-दूसरे पर हमलावर हैं। झामुमो ने इसे राज्य सरकार के अधिकार और न्यायिक प्रक्रिया में आयोग का हस्तक्षेप बताया है। वहीं कांग्रेस ने कहा है कि इस आदेश से कहीं न कहीं आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। कांग्रेस का कहना है कि झारखंड में कहीं चुनाव नहीं हो रहे हैं, ऐसे में बेहद जरूरी हो गया है कि संवैधानिक संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र पर व्यापक बहस होनी चाहिए।
ओर भाजपा ने मांग की है कि देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री पर चुनाव आयुक्त ने दंडात्मक कार्रवाई करते हुए पद से हटाने और उन्हें चुनाव कार्य में नहीं लगाने का निर्देश दिया है, उसका तत्काल पालन हो। भाजपा विधायक दल के नेता सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा कि राज्य सरकार संवैधानिक संस्थाओं के निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। वहीं राज्य की आईएएस लॉबी भजंत्री के साथ खड़ी नजर आ रही है।
इधर राज्य सरकार डीसी मंजूनाथ को हटाने के आदेश के मामलों में आयोग के अधिकारों पर अध्ययन कर रही है। कार्मिक विभाग ने इस संबंध में फाइल आगे भी बढ़ाई है। इसमें यह देखा जा रहा है कि चुनाव आयोग को चुनावी आचार संहिता लागू नहीं रहने पर ऐसा आदेश देने का अधिकार है या नहीं। फिलहाल इसकी समीक्षा मुख्य सचिव स्तर से की जा रही है। इसके बाद फाइल मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा। मालूम हो कि आयोग ने डीसी को पद से हटाने का आदेश दिया है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय निर्वाचन आयोग ने देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री को पद से हटाने का आदेश दिया है। आयोग के प्रधान सचिव राहुल शर्मा ने राज्य के मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि आयोग की बिना सहमति के इन्हें किसी जिले का उपायुक्त या जिला निर्वाचन अधिकारी न बनाएं। भजंत्री पर 15 दिन में विभागीय कार्यवाही करने और मेजर पेनाल्टी के आरोप पत्र देने की भी हिदायत दी है। आयोग ने यह आदेश भाजपा सांसद निशिकांत दुबे पर कराए गए पांच केस को गलत करार देते हुए मुख्य सचिव को दिया है। ज्ञात हो कि मधुपुर उपचुनाव की काउंटिंग में भी आयोग ने इन्हें हटा दिया था।