Patna News:- बिहार में खेलों को लेकर शुरू हुई खामोश क्रांति अब रंग दिखाने लगी है। खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2025 में बिहार ने 36 पदक जीतकर देशभर में 14वां स्थान हासिल किया है। इनमें सात स्वर्ण, 11 रजत और 18 कांस्य पदक शामिल हैं। पदकों की संख्या में यह 620 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। बिहार ने झारखंड को भी पीछे छोड़ दिया है।

खेलो इंडिया यूथ गेम्स के सातवें संस्करण की मेजबानी बिहार ने पहली बार की। इसके साथ ही यह साबित कर दिया कि अगर खिलाड़ियों को सुविधा और मौका मिले तो वे कमाल कर सकते हैं। 2018 में बिहार को सिर्फ एक कांस्य पदक मिला था। 2019 में एक रजत और चार कांस्य पदक के साथ कुल पांच पदक मिले। 2020 में एक स्वर्ण, एक रजत और सात कांस्य पदक के साथ कुल नौ पदक जीते। 2021 में कोविड के कारण प्रदर्शन गिरा और सिर्फ दो पदक मिले। यह 72 प्रतिशत की गिरावट थी।
पहले चार संस्करणों में बिहार 28वें स्थान पर था। 2022 में एक स्वर्ण, एक रजत और पांच कांस्य पदक के साथ स्थिति में सुधार हुआ। 2023 में दो स्वर्ण सहित कुल पांच पदक मिले और बिहार 21वें स्थान पर पहुंचा। इस बार 14वें स्थान पर पहुंचकर बिहार ने इतिहास रच दिया।
बिहार ने मणिपुर के पारंपरिक मार्शल आर्ट थांगटा में दो, रग्बी में दो, एथलेटिक्स में दो और सेपक टाकरा में एक स्वर्ण पदक जीते हैं। इस सफलता के पीछे खिलाड़ियों की मेहनत और सरकार की योजना है। राज्य सरकार ने खेल विभाग बनाया। बिहार राज्य खेल प्राधिकरण को रजिस्टर्ड किया गया। देसी-विदेशी प्रशिक्षकों की मदद ली गई। खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी गई। सपोर्टिंग स्टाफ की टीम बनाई गई।
बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविन्द्रण शंकरण ने कहा, यह बिहार है। हम इतिहास लिखते नहीं, रचते हैं। हमारे खिलाड़ियों ने सपनों को पंख दिए हैं। यह चार साल की मेहनत का नतीजा है।