रांची से देवेंद्र शर्मा की रिर्पोट
झारखंड के स्वास्थ्य विभाग में ऊपर से नीचे तक अनियमितता भ्रष्टाचार की नैया बह रही है । सरकार के द्वारा स्वास्थ्य विभाग को वार्षिक बजट के रूप में भारी भरकम बजट की राशि प्रदान की जाती है। दवा,संसाधन, उपकरण के साथ साथ भवन निर्माण की राशि अलग से दी जाती है। इसके विपरीत राज्य के अस्पताल और स्वास्थ्य केन्द्र की बदहाली का नजारा कुछ और ही है। अस्पताल में दवा उपकरण की कमी बतायी जा रही है। मरीज दवा और चिकित्सा के अभाव में मर रहे हैं। लगभग पचास प्रतिशत मरीज तो संसाधन के अभाव में अस्पताल तक पहुंच ही नहीं पाते है । ग्रामीण और पठारी क्षेत्र का हाल यह है की गंभीर मरीज और गर्भवती महिला को आज भी डोली ,खटिया या बांस के बने स्ट्रेचर पर लादेन कर परिजन स्वास्थ्य केन्द्र तक लाने को विवश होते है। कई लोगो की मौत तो रास्ते में हो जाती है फिर लोग अपने मरे हुए परिजन को कांधे पर या साईकिल में बांध कर वापस अपने घर अन्तिम संस्कार के लिए लौटते है।
हर साल विभाग बजट राशि से एम्बुलेंस की खरीदारी भी दिखाती है पर अस्पताल में एम्बुलेंस का अभाव ही बताया जाता है। राजधानी के नामकुम स्थित स्वास्थ्य विभाग के परिसर में पिछले एक साल से भी अधिक समय से लगभग दो सौ एम्बुलेंस जो स्थानीय स्तर पर खरीदी गई थी विभाग के एक शीर्ष अधिकारी की लापरवाही, भ्रष्टाचार और अनियमितता के कारण ज॔ग खाकर कबाड बनता जा रहा है । विभाग ने कोरोना काल के संकट को ध्यान में रखकर इन्हे खरीदा था । इस एम्बुलेंस को राज्य के हर जिले में आवश्यकता के अनुसार पहुंचाने की योजना बनी थी। एम्बुलेंस की खरीदी के बाद उस फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
सूत्र का कहना है की एक एक एम्बुलेंस पर लगभग बीस लाख से अधिक का खर्च आने की बात कही जा रही । विक्रेता को भुगतान किए जाने की बात सामने आ रही है। एम्बुलेंस में हर तरह के संसाधन उपलब्ध होने की बात उस समय बताई गई थी । इसके विपरीत खुले मैदान के नीचे जंग खाकर सड रहे इन एम्बुलेंस से संसाधन के गायब होने की खबर मिल रही है। विभागीय सूत्र का कहना है की इस खरीदी में विभाग के शीर्ष अधिकारी को कमिशन की राशि नही मिलने के कारण उन्होने इसे मान सम्मान से जोड़कर उपेक्षित कर दिया ।
सूत्र का कहना है की अस्पताल के निर्माण की राशि से लेकर दवा ,संसाधन में जब उक्त अधिकारी को चढ़ावा नही प्राप्त नहीं होती तब तक अनुमती नही मिलता है। जिला अस्पताल को जो दवा संसाधन नही चाहिए यदि पैरवी पहुंच और भेंट मिलने पर तत्काल जबरन थमा दिया जाता है। राजधानी के रिम्स में करोड़ो की मशीन और उपकरण की खरीद कर भेज दिया गया जिसे अस्पताल ने कभी मांग भी नही किया था। कोरोना के समय भी भारी राशि खर्च कर कोविड की रोक थाम के लिए दवा की खरीद की गई थी ।दवा एक ही आपूर्ति कर्ता से लिया गया था । विभाग के सूत्र का कहना है की आबादी से चार गुना दवा की खरीद किया गया था ।दवा चालीस प्रतिशत खरीदा गया और भुगतान शत प्रतिशत दिखाया गया ।झारखंड के लगभग सभी अस्पताल में दवा और संसाधन का अभाव बताया गया है।