पटना। झंझारपुर के एडीशनल डिस्टिक एंड सेशन जज अविनाश कुमार के साथ मधुबनी के दो पुलिस पदाधिकारियों द्वारा किए गए हमले की घटना की जांच अब सीआईडी करेगी। इस संबंध में जिला जज द्वारा भेजी गई रिपोर्ट जो अब रिट याचिका में तब्दील हुई है, उसकी सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट के जस्टिस राजन गुप्ता और मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने बुधवार को यह निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने जांच का जिम्मा हर हाल में 2 दिसंबर तक सीआईडी को सौंपने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि इस मामले का अनुसंधान एसपी रैंक के पुलिस पदाधिकारी करेंगे और मामले का पर्यवेक्षण एडीजे रैंक के अधिकारी ही करेंगे। उच्च न्यायालय ने मधुबनी एसपी की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए सरकार को कहा है कि अनुसंधान में मधुबनी पुलिस का किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही खंडपीठ ने कोर्ट को सहयोग करने के लिए वरीय अधिवक्ता मृग्यांक मौली को एमिकस क्यूरी अधिवक्ता नियुक्त करते हुए कहा कि इस मामले में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में अगली सुनवाई 8 दिसंबर को कोर्ट में पेश करें।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि पावर मिलने का मतलब यह नहीं होता है कि किसी के साथ कुछ भी कर दिया जाए। जबकि महाधिवक्ता ललित किशोर ने मौखिक रूप से कहा कि राज्य में अराजकता जैसी कोई स्थिति नहीं है।
मालूम हो कि मधुबनी के डिस्ट्रिक एंड सेशन जज ने इस मामले में 18 नवंबर 21 को रिपोर्ट भेजी है। जिस पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट को याचिका में तब्दील करवाकर एक विशेष पीठ का गठन कर दिया है। विशेष पीठ ने उसी दिन रात में त्वरित कार्रवाई कर राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी ,गृह विभाग के प्रधान सचिव व मधुबनी के एसपी को नोटिस जारी कर दिया।