Ranchi News: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि विकसित भारत के सपने को साकार करने में नई तकनीक की अहम भूमिका है। वर्तमान युग तकनीक का है और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी इसमें महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी और ह्यूमैनिटीज एक-दूसरे के पूरक हैं।
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राष्ट्रपति शनिवार को बीआइटी मेसरा के प्लेटिनम जुबली समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि बीआईटी मेसरा ने 70 वर्षों की यात्रा में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। 1964 में यहां पहला स्पेस और रॉकेटरी डिपार्टमेंट स्थापित हुआ था, जो आज भी तकनीकी विकास में योगदान दे रहा है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की प्रासंगिकता पर जोर देते हुए कहा कि यह भविष्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि हमारा युग प्रौद्योगिकी का युग है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई प्रगति ने हमारे जीने के तरीके को बदल दिया है। कल तक जो अकल्पनीय था, वह आज वास्तविकता बन गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्ष और भी अधिक नाटकीय होते जा रहे हैं, जिसमें विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग में दूरगामी प्रगति की उम्मीद है। चूंकि एआई तेजी से अर्थव्यवस्थाओं को बदल रहा है, इसलिए भारत सरकार उभरते परिदृश्य पर प्रतिक्रिया देने में तत्पर रही है। उच्च शिक्षा संस्थानों में एआई को एकीकृत करने के लिए कई पहल की जा रही है। राष्ट्रपति शनिवार को बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान (बीआइटी) मेसरा के प्लेटिनम जुबली समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रही थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि चूंकि प्रौद्योगिकी समाज में बड़े व्यवधान पैदा करती है, इसलिए हमें हाशिए पर पड़े समूहों पर इसके प्रभाव के बारे में चिंतित रहना चाहिए। जो महान अवसर पैदा किए जा रहे हैं, वे सभी के लिए उपलब्ध होने चाहिए, जो महान परिवर्तन लाए जा रहे हैं, उनसे सभी को लाभ होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि अक्सर हमारे आसपास की समस्याओं के लिए किसी बड़े तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने युवा छोटे और पारंपरिक समाधान को भी ना भूलें बल्कि उसे भी आजमाने की जरूरत है। युवा छोटे पैमाने के पारंपरिक समाधानों के महत्व को न भूलने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि नवोन्मेषकों और उद्यमियों को पारंपरिक समुदायों के ज्ञान के आधार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि प्लेटिनम जुबली इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और संबद्ध क्षेत्रों में शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में बीआईटी मेसरा के योगदान का जश्न मनाने और सम्मान करने का एक उपयुक्त अवसर है।
झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि राष्ट्रपति के आगमन से राज्यवासियों में उत्साह है। उन्होंने बीआईटी मेसरा की उपलब्धियों की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्थान ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई है और विद्यार्थियों की सोच को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि बीआईटी मेसरा न केवल इंजीनियरिंग और प्रबंधन में बल्कि सामाजिक समावेशिता की दिशा में भी कार्य कर रहा है। यहां संचालित पॉलिटेक्निक संस्थान विशेष रूप से आदिम जनजातियों सहित आरक्षित श्रेणियों के छात्रों को तकनीकी शिक्षा और व्यावहारिक प्रशिक्षण के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान कर रहा है, जो रोजगार और उद्यमिता के बेहतर अवसर की दिशा में सहायक हैं।
मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा कि बीआईटी मेसरा सबसे अधिक मांग वाला संस्थान बना हुआ है और इसका श्रेय इसके प्रबंधन, संकाय, पूर्व छात्रों और सबसे महत्वपूर्ण रूप से उन छात्रों को जाता है जो यहां अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। सीके बिरला ग्रुप के चेयरमैन ने कहा कि हमारे पास 20 से अधिक विषय हैं, जिनमें 10,000 से अधिक स्टूडेंट्स और 600 से अधिक फैकेल्टी सदस्य हैं, और हमें दुनिया भर में 50,000 मजबूत एल्यूमनी नेटवर्क पर गर्व है।
समारोह का मुख्य आकर्षण राष्ट्रपति मुर्मु और राज्यपाल गंगवार द्वारा एक विशेष स्मारक रजत पदक, डाक टिकट और लिफाफा जारी करना था, जो शिक्षा, इनोवेशन और राष्ट्र निर्माण में इंस्टीट्यूट के उल्लेखनीय योगदान का प्रतीक है। समारोह में 780 एकड़ के परिसर में पौधरोपण और राष्ट्रपति द्वारा रिसर्च एग्जीबिशन का उद्घाटन जैसी गतिविधियां भी शामिल थीं। मौके पर बीआईटी के सैकड़ों छात्र और शिक्षक सहित कई लोग मौजूद थे।राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु बीआईटी मेसरा के प्लेटिनम जुबली कार्यक्रम में शामिल होने के बाद एयरपोर्ट पहुंची और विशेष विमान से नई दिल्ली के लिए रवाना हो गयी।