Muzaffarpur : सदर अस्पताल की एंटी रैबीज इंजेक्शन हेराफेरी कर हरियाणा में ऊंची कीमत पर बेच दी जाती थी। हरियाणा पुलिस ने इस गोरखधंधे का खुलासा करते हुए सदर अस्पताल के ओटी असिस्टेंट नीलेश को गिरफ्तार किया है। सदर अस्पताल से एंटी रैबीज इम्युनोग्लोबुलिन दवा की कालाबाजारी 500 लोगों के फर्जी नाम पर की गई है।
विभाग से जुड़े लोगों ने बताया कि जिस दवा की कालाबाजारी की गई है, वह काफी महंगी है। बीएमएसआईसीएल से एक वायल तीन हजार रुपये में आता है। इस दवा की बाजार में कीमत चार हजार रुपये है। यह दवा कुत्ते के काटने के बाद अगर खून में संक्रमण हो जाये या मांस निकल जाये तो दी जाती है। यह दवा आम एंटी रैबीज से अलग है। जिन लोगों ने टीका नहीं लिया उसके नाम भी दर्ज कर इसका उठाव करवा लिया गया व हरियाणा की एजेंसी को बेच दिया गया।
मामले में मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल से नीलेश कुमार नामक कर्मी को गिरफ्तार किया गया है। उसकी सांठगांठ ओडिशा के एक एमआर के साथ थी। एमआर अनिरुद्ध गौड़ मुम्बई की प्राइवेट दवा कंपनी में एमआर की नौकरी करता है। वहीं से बिहार सरकार एन्टी रैबीज इंजेक्शन की खरीदारी करती है। अनिरुद्ध मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल आता रहता था। इसी दौरान उसकी पहचान नीलेश कुमार से हो गई और दोनों ने धंधा शुरू कर दिया।
नीलेश सदर अस्पताल में ओटी असिस्टेंट है। दोनों ने मिलकर दवा तस्करी का कारोबार करना शुरू कर दिया। दवा चुराने के लिए नीलेश मरीजों की झूठी पर्ची बनवाता था और इंजेक्शन आवंटित करवाकर बेच देता था। वह अनिरुद्ध गौर से एक इंजेक्शन 400 रुपये में बेचता था। अनिरुद्ध उसे 1500 रुपये से दो हजार में हरियाणा में बेचता था। वहां उनका साथी प्रवीण था जो बाजार में मनमानी कीमत वसूलकर बेच देता था।
हरियाणा पुलिस को इसकी भनक लग गई। हरियाणा पुलिस ने पहले प्रवीण को पकड़ा। उससे पूछताछ पर ओडिशा के अनिरुद्ध को गिरफ्तार किया। उसकी निशानदेही पर मुजफ्फरपुर से नीलेश को पकड़ा गया।