कोडरमा। सेंचुरी क्षेत्र घोषित होने के बाद बंद हो चुकी जेएसएमडीसी की अभ्रक खदानों से निरंतर खनन माफियाओं द्वारा अवैध खनन कर माइका व ढिबरा का कारोबार किया जा रहा है। जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर खलकथंबी जंगल में काफी समय से चल रहे अवैध खनन के कार्य पर गुरुवार को वन विभाग ने छापेमारी की तो इसका खुलासा हुआ। हालांकि छापेमारी की सूचना खनन माफियाओं को पहले पहुंच गई जिसके कारण इसमें लगे लोग भाग गए और किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी। मौके पर छापेमारी टीम ने एक जेसीबी मशीन, दो शक्तिमान और एक बाइक बरामद किया गया है।
यहां से उत्खनन किए गए ढिबरा व माइका को झुमरीतिलैया स्थित विभिन्न माईका प्लांट में भेजा जाता है। खलकथंबी में अवैध उत्खनन की जानकारी मिलने के बाद गुरुवार को वन क्षेत्र पदाधिकारी रामबाबू और कोडरमा थाना प्रभारी इंदु भूषण के नेतृत्व में पुलिस बल खलकथंबी में चल रहे खदान पर छापेमारी करने पहुॅची थी। काफी बड़े जंगली भूभाग पर वहां चल रहे अवैध खनन को देख अधिकारी भी अचंभित हो गए।
गौरतबल हो कि वर्ष 2003 के पूर्व तक खलकथंबी माइका माइंस का संचालन जेएसएमडीसी के अधीन होता था। लेकिन सेंचूरी एरिया घोषित करने के बाद अचानक इसे बंद करना पड़ा था। बाद में माइका उत्खनन के दौरान वहां फेंके गए माइका डस्ट से ढिबरा चुनने के दौरान खनन माफियाओं ने पूरे माइंस क्षेत्र में कई सुरंग बनाए डाले है। जिसके जरिए माइका निकालने का काम भी किया जाता है। सुरंग में जाने के लिए वहां सीढी़ का सहारा लिया जाता है।
बंद पड़े अभ्रक खदानों के अवैध खनन के दौरान आए दिन चाल घंसने की घटना सामने आते रही है। कोडरमा सहित गिरिडीह इलाके में संचालित अभ्रक खदानों में अवैध खनन के दौरान वर्ष 2022 में भी करीब आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कई मामले में तो पुलिस को भी घटना की जानकारी तक नही मिल पाती है।
वन्य आश्रयणी क्षेत्र घोषित होने के बाद जंगल में स्थित खदानों को बंद तो कर दिया गया लेकिन अवैध उत्खनन लगातार जारी है। जिसे रोकने पर वन विभाग अबतक विफल रहा है। जेएसएमडीसी के खदानों को बंद होने के बाद कुछ वर्षो तक तो निगम की ओर से माइंस की रखवाली के लिए गार्ड तैनात रहे। लेकिन धीरे-धीरे कर्मचारियों के सेवानिवृत होने के साथ इन खदानों पर पूरी तरह माफिया हावी हो गए है। सुत्रों की मानें तो जेएसएमडीसी के बंद पड़े सभी खदानों से बड़े पैमाने पर ढिबरा का अवैध खनन लनगातार जारी है।
वन्य आश्रयणी क्षेत्र घोषित होने के बाद इन इलाकों में मानव गतिविधि सहित किसी भी तरह के आवाज पर रोक लग जाती है। बावजूद इसके इन इलाकों में विस्फोटक का इस्तेमाल कर अवैध खनन का कार्य किया जा रहा है। गुरुवार को खलकथंबी में छापेमारी स्थल से कुछ दुरी पर दूसरे खदान के संचालन की भी जानकारी सामने आयी, हालांकि टीम के द्वारा वहां छापेमारी नही की गई।