Sarhasa: हिंदू धर्म में करवाचौथ साल की सबसे बड़ी चतुर्थी और महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है। इस साल का करवा चौथ का त्योहार बेहद शुभ संयोग में मनाया जाएगा। मिथिला पंचांग के अनुसार करवाचौथ आज ही मनाया जायेगा। बुधवार को करवा चौथ मे सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग बन रहा है,08.16 रात्री के बाद चंद्र के उदय तदोपरांत व्रती महिला चलनी से चन्द्रमा देख अर्घ दें और पति का चेहरा देखे एवं उनके हाथो पानी पीकर व्रत खोले तो अति शुभ माना जाता है।
करवा चौथ मे व्रती चन्द्रमा, शिव पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा षोंडशोपचार विधि से विधिवत करें। एक मिट्टी के पात्र मे चावल, उड़द दाल, सुहाग सामग्री (सिंदूर, चूड़ी,इत्यादि एवं रुपया रखकर उम्र मे बड़ी सुहागन महिला के पांव छूकर उन्हें भेट करें एवं आशीर्वाद प्राप्त करें।
करवाचौथ शुरू करने वाली नवविवाहिता को 13 करवा या कलश स्थापना कर पूजा करनी चाहिए।करवा चौथ का व्रत वैसे एक बार शुरू करने के बाद पति के जीवित रहने तक किया जाता है लेकिन किसी कारणवश अगर यह व्रत न कर पाएं तो इसका उद्यापन कर देना चाहिए। करवा चौथ का उद्यापन करवा चौथ वाले दिन ही किया जाता है।परिवार की सुख-समृद्धि,संतान के उत्तम स्वास्थ्य और पति की लंबी आयु की कामना से ये व्रत हो तो उत्तम होता है।