नई दिल्ली।
भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद को बातचीत से हल करने की कोशिशों के बीच भारतीय सेना चीन के किसी भी चालबाजी की जवाब देने के लिए पूरी तैयारी करने में जुटी है। भारतीय सेना किसी भी मोर्चे पर अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसे लेकर ही भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख के चूमर- डेम चोक क्षेत्र में 18 हजार फीट की ऊंचाई पर बीएमपी-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ टी-90 और टी-72 टैंकों की तैनाती की है। जो माइनस 40 डिग्री सेल्सियस तक की तापमान में काम कर सकती है। एलएसी के पास पूर्वी सीमा पर सिंधु नदी के पार लड़ाइयां के लिए समतल इलाका है, जो पूर्वी लद्दाख से लेकर चीन के कब्जे वाले तिब्बत तक है। इन दुर्गम इलाके में भारत ने टी-90 और टी-72 टैंक तैनात कर दी है। इतनी ऊंचाई और मुश्किल इलाके में अब तक कोई भी देश बेहतरीन हथियार पहुंचाने में सफल नहीं रहा है। लद्दाख जैसे इलाके में 46 टन वजनी टैंक को पहुंचाना कोई आसान काम नहीं था। इन दुर्गम इलाकों में तैनात किए गए बीएमपी-2 इन्फेंट्री इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्सकी खासियत यह है कि यह -40 डिग्री तापमान में भी बेहतरीन काम कर सकती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चीन से सटे लद्दाख के समीप चूमर- डेम चोक इलाके में भारत ने करीब 25 सौ बीएमपी-2 इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स के साथ टी-90 और टी-72 टैंकों की तैनाती की है। भारतीय सेना के बेड़े में करीब साढ़े 4000 टैंक है। जिन्हें भी भीष्म नाम दिया गया है। इन टैंकों में 125 एमएम की गन लगी हुई है। साथ ही यह अपने बैरल से एंटी टैंक मिसाइल भी छोड़ सकता है। रूस से खरीदे गए इन टैंकों में भारत ने इजराइल, फ्रेंच, और स्वीडिश सिस्टम भी लगा रखे हैं। सेना की 14 वी वाहिनी के चीफ ऑफ स्टाफ मेजर जनरल अरविंद कपूर ने बताया कि दुनिया में मात्र भारतीय सेना के पास ही एकमात्र फायर एंड फ्यूरी क्रॉर्प्स है। लद्दाख जैसे इलाकों में टैंक पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों और भारी बंदूकों का रखरखाव काफी चुनौती भरा कार्य है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में सर्दिया कठोर होने जा रही है। इसके लिए हमने पूरी तैयारी कर ली है। अग्रिम चौकियों पर तैनात सैनिकों के लिए पर्याप्त स्टॉकिंग कर ली गई है।