Sitamarhi News: सीतामढ़ी के पुनौराधाम श्री जानकी जन्म स्थान स्थित सीता प्रेक्षागृह में शनिवार को सीता महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शिरकत की।कार्यक्रम की अध्यक्षता अरविन्द भालचंद्र मार्डीकर ने की।जबकि मुख्य वक्ता के रूप में उत्तरप्रदेश के अयोध्यधाम के सिद्धपीठ हनुमत निवास के श्री महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज,मुख्य वक्ता सीतामढ़ी बगहीधाम के श्री महंत डॉ शुकदेव दास जी महाराज,विशिष्ट अतिथि के तौर पर श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के श्री मां योग योगेश्वरी यती जी के अनन्त श्री विभूषित महामंडलेश्वर, उत्तरप्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण द्विवेदी,आशीर्वचन के लिए पुनौराधाम श्री जानकी जन्मभूमि मंदिर के पीठाधीश्वर श्री महंत कौशल किशोर दास जी महाराज एवं विशेष उपस्थित अतिथि के रूप में भाग्य विधाता चैरिटेबल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष राम सुरेश चौधरी और भास्कर झा मौजूद रहे।
कार्यक्रम का सफल संचालन संजीव कुमार द्वारा किया गया।कार्यक्रम में प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित उदय कुमार मल्लिक और भजन गायक डॉ सुरेन्द्र कन्नौजिया ने अपनी शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति से सबों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौके पर युगवार्ता, नवोत्थान और तेजस्विनी सीता का लोकार्पण किया गया।वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्वास्ति वाचन उपरांत कार्यक्रम का शुभारम्भ संयुक्त रूप से अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।सभी अतिथियों को पुष्प गुच्छ,शॉल और स्मृति चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया।स्वागताध्यक्ष के रूप में भाग्य विधाता चैरिटेबल फाउंडेशन एवं ट्रस्ट के भास्कर झा ने सबों का स्वागत करते हुए ट्रस्ट के कार्यों के बारे में जानकारी दी।

मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि हिन्दू धार्मिक शब्द नहीं भौगोलिक शब्द है और हिन्दुस्तान में जन्मा सभी हिन्दू हैं। उन्होंने कहा कि वे मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्री राम की जन्म भूमि उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं और उनका शौभाग्य है कि मां जानकी जहां पैदा हुई,उस राज्य के प्रथम नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरूषोतम भगवान श्री राम और माता जानकी न केवल हिन्दी क्षेत्र बल्कि दक्षिण और सम्पूर्ण सनातन क्षेत्र के लिए प्रेरणाश्रोत हैं।
मुख्य वक्ता उत्तरप्रदेश के अयोध्यधाम के सिद्धपीठ हनुमत निवास के श्री महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज ने मां सीता के विभिन्न धार्मिक ग्रंथों और वेदों में जिक्र का वर्णन करते हुए उनके रूप और लोक संस्कृति के साथ लोक जीवन में भूमिका की चर्चा की।वहीं सीतामढ़ी बगहीधाम के श्री महंत डॉ शुकदेव दास जी महाराज ने स्थानीय सांसद देवेश चन्द्र ठाकुर द्वारा एक साल के संसदीय निधि का पैसा मां जानकी जन्म स्थान के उत्थान के लिए दिए जाने के ऐलान की सराहना की।
विशिष्ट अतिथि श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के श्री मां योग योगेश्वरी यती जी के अनन्त श्री विभूषित महामंडलेश्वर ने कही कि मां सीता के अग्नि परीक्षा को नकारात्मक रूप में लिया जाता है।लेकिन यह नकारात्मकता नहीं बल्कि सकारात्मक है।उन्होंने कहा कि अग्नि परीक्षा महिला को ही नहीं पुरुषों को भी देनी होती है।उन्होंने कहा कि अग्नि परीक्षा के रूप में मां जानकी ने धैर्य,शीलता,सहनशीलता और क्षमा सिखाया है।
कार्यक्रम में पुनौराधाम श्री जानकी जन्मभूमि मंदिर के पीठाधीश्वर श्री महंत कौशल किशोर दास जी महाराज ने सबों को अपना आशीर्वचन दिया। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अरविन्द भालचंद्र मार्डीकर और उत्तरप्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त पदुम नारायण द्विवेदी ने मां जननी के स्वरूपों के चित्रण के साथ गंभीरतापूर्वक अनुसंधान की और अधिक आवश्यकता होने को करार दिया।कार्यक्रम में दूसरे सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।जिसमें ख्याति प्राप्त शास्त्रीय गायक पंडित उदय कुमार मल्लिक और भजन गायक डॉ सुरेन्द्र कन्नौजिया ने अपनी प्रस्तुति से जमकर तालियां बटोरी।
मां जानकी सीतामढ़ी के लिए लाडली बेटी है : आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज
जगत जननी मां सीता सीतामढ़ी के लिए माता नहीं बल्कि लाडली बेटी है।वह तो सीतामढ़ी और सम्पूर्ण मिथिला क्षेत्र के लिए गौरवान्वित करने वाली है।मिथिला सीतामढ़ी की भूमि को उन्होंने मनुष्यता के भाव से सिंचा है। उपरोक्त बातें सीतामढ़ी पुनौराधाम श्री जानकी जन्म स्थान के सीता प्रेक्षागृह में आयोजित सीता महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराजी ने कही।उन्होंने मा जानकी के अलग अलग रूपों और धर्म में वर्णित तथ्यों से सभाकक्ष में मौजूद लोगों को अवगत कराया।
उन्होंने कहा कि यूं तो चार धाम हैं लेकिन मिथिला की धरती चारों धाम की सिद्धि देने वाली धरती है।उन्होंने कहा कि भगवान के कई रूप और अवतार हैं।उन्होंने कहा कि मां जानकी के चरित्र में किसी तरह का कोई संशय नहीं है।उनका चरित्र तो वेद,प्रशस्ति और स्तुति करने वाला है।सैकड़ों श्लोकों में मां जानकी के रूपों का वर्णन है।महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण सहित अन्य रचित रामायण में जगत जननी के चरित्र का अनोखे ढंग से वर्णन है,जिसे चंद शब्द सीमा में नहीं बांधा जा सकता।वाल्मीकी जी के रामायण में मां सीता की चरित्र व्यंजना वाली है।
उन्होंने सीतामढ़ी की भूमि को उपासना वाली भूमि करार दिया।उन्होंने कहा कि मिथिला के बाहर सीता माता है,लेकिन मिथिला में तो वह लाडली सुकुमारी बेटी है।उन्होंने मां सीता के बाल्यकाल के रूप दया,शीलता और क्षमा वाले रूपों की चर्चा की।