पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए हुए मतदान में 1. 7 फ़ीसदी लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया। नोटा के इस्तेमाल का मतलब है कि चुनाव मैदान में खड़े सभी प्रत्याशी मतदाताओं को नापसंद है। इस बार के चुनाव में 30 ऐसी सीटें थी जहां जीत -हार का अंतर नोटा को मिले मतों से कम था। 2015 के चुनाव में ऐसी सीटें 21 थी। बीते चुनाव के मुकाबले इस बार नोटा को कम मत मिला है। पिछली बार नोटा में 9 लाख मत मिले थे जबकि इस बार सात लाख मत मिले हैं।
जदयू के खाते में गई 13 सीटों पर जीत का अंतर नोटा को मिले मत से कम
बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू की 13 सीटें ऐसी है जहां पार्टी को मिली जीत के अंतर से अधिक मत नोटा को प्राप्त हुए हैं। वही राजद को मिली 7 सीटों पर हार -जीत के अंतर से नोटा को अधिक वोट प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा बीजेपी और कांग्रेस की क्रमशः 4 और 3 सीटें ऐसी थी जहां जीत -हार के अंतर से अधिक मत नोटा को मिले हैं। इस बार के चुनाव में भाजपा को 19 . 46 प्रतिशत, जदयू को 15. 39 फ़ीसदी व राजद को 23 .11 फ़ीसदी वोट शेयर मिले हैं।
वीआईपी बीएसपी और ओवैसी की पार्टी को नोटा से भी प्राप्त हुए हैं कम मत
बिहार विधानसभा चुनाव में काफी हद तक बेहतर प्रदर्शन करने वाले ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के अलावा वीआईपी पार्टी का वोट शेयर नोटा से कम रहा है। इन दोनों पार्टियों को क्रमशः 5 और 4 सीटें मिली हैं। एआईएमआई एम का वोट शेयर 1.24, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा का 0.89 फ़ीसदी] बहुजन समाज पार्टी का 1.49 और वीआईपी पार्टी का वोट शेयर 1.52 प्रतिशत रहा। वहीं सीपीआई व सीपीएम को 0.83 फीसदी और 0. 6 5 फ़ीसदी मत मिले