रांची।
हाईकोर्ट ने धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत मामले में सुनवाई के दौरान नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जेपीएससी संवैधानिक संस्थान नहीं होती तो अदालत इसे बंद करने का आदेश पारित कर देती। जेपीएससी काम नहीं कर रही है, महत्वपूर्ण संस्थान में पद खाली हैं। नियुक्ति नहीं हो रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण और शर्म की बात है। अदालत में सरकार के जवाब से असंतुष्टि जाहिर करते हुए कोर्ट ने जेपीएसी, एफएसएल और गृह सचिव को एफिडेविट के माध्यम से जवाब दाखिल करने को कहा। राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता पीयूष चित्रेश तथा जेपीएससी की तरफ से संजय पिपरवाल ने अदालत को बताया कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला में पद सृजित हैं और उन पर बहाली की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। अदालत ने इस बात को लेकर भी नाराजगी जताई कि वर्ष 2011 से नियुक्त नहीं हुई है। अदालत ने पूछा कि लैब में सारे काम गोपनीय होते हैं तो वहां आउटसोर्स कर्मियों की नियुक्ति कैसे की जा सकती है।
मालूम हो कि 28 जुलाई की सुबह मॉर्निंग वॉक पर निकले धनबाद सिविल कोर्ट के जज उत्तम आनंद की संदेहास्पद परिस्थितियों में एक ऑटो द्वारा टक्कर मारने से मौत हो गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है।
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