रांची।
झारखंड हाई कोर्ट ने बिना किसी उच्च अधिकारियों से विचार विमर्श किए ही राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को रिम्स निदेशक के बंगले में शिफ्ट किए जाने पर कड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की अदालत में शुक्रवार को जेल मैनुअल उल्लंघन से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार कानून से चलती है व्यक्ति विशेष से नहीं। सरकार की ओर से पक्ष रखने के बाद अदालत ने 22 जनवरी तक जेल मैनुअल में बदलाव और अपडेट एसओपी की जानकारी मांगी है। हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि लालू प्रसाद को कोरोना संक्रमण का खतरा होने पर रिम्स प्रबंधक को पहले इसकी जानकारी जेल अथॉरिटी को देनी चाहिए थी। इसके बाद जेल अथॉरिटी उन्हें शिफ्ट करने का वैकल्पिक स्थान का चयन करती। रिम्स प्रबंधक ने आखिर लालू प्रसाद को निदेशक के बंगले में शिफ्ट करने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई। अदालत ने पूछा कि लालू को निदेशक के बंगले में शिफ्ट करने के पहले कौन से विकल्पों पर विचार किया था।फिर निदेशक के बंगले की ही क्यों चुना गया। रिम्स प्रबंधक को नियमों और प्रावधानों के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए था।
सुनवाई के दौरान जेल आईजी और एसएसपी की रिपोर्ट पेश की गई। वहीं सरकार की ओर से बताया गया कि कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने के कारण रिम्स प्रबंधक ने लालू प्रसाद को निदेशक के बंगले में शिफ्ट किया।अदालत को यह भी बताया गया कि कैदी को इलाज के लिए शिफ्ट करने के दौरान उसकी सुरक्षा व्यवस्था और जेल के बाहर सेवादार दिए जाने को लेकर जेल मैनुअल में स्पष्ट जानकारी नहीं है। सरकारी पक्ष ने बताया कि जेल मैनुअल में बदलाव कर रही है, इसका एक एसओपी भी तैयार की जा रही है।