रांची। देश के सबसे बड़े औद्योगिक इकाई एचईसी को बचाने की मुहिम के तहत उसके कर्मचारी-पदाधिकारी सहित सैकड़ो स्थानीय लोगो ने गोल चक्कर से कारखाने के मुख्यालय गेट तक रैली निकाली। मुख्यालय गेट के सामने एचईसी निदेशक एम के सक्सेना की विदाई पर आक्रोश जाहिर करते हुए उनके पुतले को आग के हवाले किया। आक्रोशित कर्मचारियों ने कहा कि पिछले दो महीने से एचईसी के इंजिनियर-अधिकारी और कर्मी सड़क पर विरोध प्रदर्शन कर रहे है। लेकिन कारखाने और मंत्रालय में बैठे लोगो के कान में जूं तक नहीं रेंग रही है। उन्होंने कहा कि राज्य- केंद्र सरकार और भारी उद्योग मंत्रालय से हक के वेतन की मांग की जा रही है। वेतन की मांग पूरी नहीं होने पर प्रदर्शन को उग्र करने की चेतावनी भी दी।
सरकार यदि हमारे हक के वेतन की मांग को जल्द से जल्द नहीं मानती है, तो आने वाले समय में सभी कर्मचारी अपने प्रदर्शन को और भी उग्र करेंगे ताकि प्रबंधन की कान तक हमारी समस्या पहुंच सके। एचईसी के कर्मचारियों को पिछले 11 महीने से और पदाधिकारियों को एक साल से वेतन नहीं मिला है। जिसके बाद कर्मचारी और पदाधिकारियों ने एचईसी मुख्यालय के सामने विभिन्न तरीके से विरोध प्रदर्शन करना शुरू किया जो कि पिछले दो महीने से बदस्तूर जारी है। सरकार ने देश के सबसे बडे औधोगिक ईकाई को अपने हाल पर मरने को छोड़ दिया है। कम्पनी धीरे धीरे एक मलबा ढांचे की तरह दिखने लगा है। कारखाने में काम करने वाले अब क्षेत्र के बाजारों में साग सब्जी की दुकान लगाकर परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जगुआर करने को विवश हो गये है।
एचईसी कर्मचारियों की मांग है कि एचईसी को फिर से चालू किया जाये। एचईसी में पिछले एक साल से ज्यादा समय से स्थायी सीएमडी नहीं हैं, सबसे पहले स्थायी सीएमडी नियुक्त किया जाये और फिर उसके बाद एचईसी को मिलने वाले काम को सुचारू रूप से शुरू किया जाये। अपनी मांग और कारखाने को बचाने को लेकर एचईसी में काम करने वाले मजदूर यूनियन और रांची के सांसद संजय सेठ की तरफ से कुछ दिन पहले भारी उद्योग मंत्रालय में भी चर्चा की गयी थी, जिसके बाद भारी उद्योग मंत्रालय से आश्वासन मिला था कि आने वाले समय में एचईसी के जीर्णोद्धार पर विचार किया जायेगा।
एचईसी पर स्थानीय विधायक, सांसद और विभिन्न राजनीतिक दल के नेता मात्र घड़ियाली आंसू बहा रहे है। लोगो का कहना है की केन्द्र सरकार एक योजना और षडयंत्र के तहत निगम को बीमार कर बन्दी के कगार पर ला दिया है। केन्द्र नही चाहती की एशिया महादेश का सबसे बड़ा औधोगिक ईकाई पुन: देश के मानचित्र पर अपनी बुलंदी हासिल कर पाये। निगम लगभग अघोषित रूप से बन्द हो चुका है।निगम के षडयन्त्र कारी अधिकारी भी एक एक कर अवकाश ग्रहण करते जा रहे है। निगम के प्रमुख को निगम की चिन्ता ही नही है।निगम के चल अचल सम्पत्ति पर राज्य सरकार ने धीरे धीरे कब्जा कर अपनी बहुमंजिली भवन को स्थापित कर ऑफिस चलाना आरम्भ कर दिया है ।केन्द्र सरकार ने एच ई सी को राजनीतिक स्वार्थ का शिकार बना डाला ।