Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दो वर्षों के कार्यकाल में जितना काम नहीं किया था, उससे अधिक काम इलेक्शन कमीशन का लिफाफा आने के बाद किया। इससे झारखंड का भला हुआ। यें बातें झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने बुधवार को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाए जाने के बाद झारखंड से विदाई के पूर्व राजभवन में मीडिया से बातचीत करने के दौरान कहीं। प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर चुनाव आयोग द्वारा भेजे गए लिफाफे का मामला छाया रहा। इस पर मुस्कुराते हुए श्री बैस ने आन फिल्म में मोहम्मद रफी द्वारा गाए गीत दिल में छुपा कर प्यार का तूफान ले चले, …अरमान ले चलें का अंतरा सुनाकर समापन किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन को स्पष्ट कह दिया था कि वह निश्चिंत होकर अपना काम करें, फिर भी यदि कोई अपने छांव से डरे तो मैं क्या करूं।
…तो विकासशील राज्य होता झारखंड
बैस ने कहा कि 2021 में झारखंड आने के बाद वह यहां जिस गति से विकास कराना चाहते थे, उस गति से नहीं करा पाया। कहा कि राज्य के मंत्री और अधिकारियों का विजन यदि सही होता तो झारखंड बीमारू राज्य नहीं विकासशील प्रदेश होता। उन्होंने कहा कि झारखंड के लॉ एंड ऑर्डर को ठीक कराने का उन्होंने हर संभव प्रयास किया, क्योंकि बाहर से इन्वेस्टर तभी आएंगे जब राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति ठीक रहेगी। यदि यहां शासन व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं रहेगी तो बाहर से लोग आने में कतराएंगे।
झारखंड के लोग सीधे-सादे, लेकिन कानून व्यवस्था ठीक नहीं
श्री बैस ने कहा कि झारखंड में सबसे अच्छा यह लगा कि यहां के लोग बहुत सीधे सादे हैं। लेकिन उन्हें सबसे मलाल यह रहा कि यहां कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है। इसके लिए उन्होंने कई बार अधिकारियों को बुलाकर आवश्यक दिशा निर्देश दिए, लेकिन इसके बावजूद स्थिति सुधर नहीं पाई। उन्होंने कहा कि झारखंड में काम करने की स्पीड बहुत स्लो है, इस कारण यह राज्य छत्तीसगढ़ उत्तराखंड से काफी पीछे रह गया है।
हेमंत सोरेन अच्छे लीडर, लेकिन सलाह नहीं माने
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में श्री बैस ने कहा कि बहुत अच्छे लीडर हैं, इतनी कम उम्र में मुख्यमंत्री बने हैं। वे ऐसा काम कर सकते हैं जो लैंड मार्क साबित हो सकता है। मैंने बीच-बीच में उन्हें कई सलाह दिया, लेकिन पता नहीं वे क्यों उस पर अमल नहीं कर पाए। छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बजट में हेल्थ, एजुकेशन, रोड जैसे कुछ प्रमुख सेक्टर पर फोकस कर काम करना होगा, तभी राज्य का अपेक्षित विकास होगा।
1932 के खतियान में है कई समस्या
झारखंड के बहुविवादित विषय 1932 के खतियान पर श्री बैस ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी सरकार क्यों जबरदस्ती करना चाहती है, यह समझ में नहीं आया। यदि 1932 का खतियान स्थानीयता का आधार माना जाएगा तो इससे कई जिलों में भारी समस्या होगी। इस पर सही से निर्णय लेना राज्य के लिए हितकारी होगा। इसी तरह एक्साइज बिल में भी कई कमियां थी, जिस पर उन्होंने राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया।
केंद्र ने 200 करोड़ भेजा पर ₹1 खर्च नहीं
टीएसी पर सरकार के साथ हुए विवाद संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-21 और 2021-22 में 200 करोड़ रुपए से अधिक की राशि राज्य सरकार को दी थी, लेकिन समीक्षा के दौरान मैंने पाया कि ₹1 भी खर्च नहीं हो सका है। इस कारण केंद्र सरकार ने 2022-23 में राशि देने पर रोक लगा दी, लेकिन राज्य के अधिकारियों को इसकी परवाह नहीं।लापरवाही,उदासीनता और अकर्मण्यता कभी सफलता नही दिला सकती।