झारखंड उच्च शिक्षा में अभी कुछ पीछे है, इसे हमे आगे लाने के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड आंदोलन की उपज है, इसी वजह से यह राज्य शहीदों के नाम से जाना जाता है
Dhanbad News: बिनोद बिहारी महतो कोलांचल विश्वविद्यालय में मंगलवार को झारखंड के पुरोधा और शिक्षाविद् कहे जाने वाले स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो की आदमकद प्रतिमा का अनावरण झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संयुक्त रुप से किया । इस मौके पर कुलपति प्रोफेसर राम कुमार सिंह, मंत्री सुदीव्य कुमार सोनू, गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, धनबाद विधायक राज सिन्हा, निरसा विधायक अरूप चटर्जी, टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद, जयराम महतो, चंद्रदेव महतो, शत्रुघ्न महतो, उमाकांत रजक और अनूप सिंह उपस्थित रहे।
इस मौके पर कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि बिनोद बिहारी महतो एक युग पुरुष थे, उनके शिक्षा और संघर्ष का सह सम्मान किया गया है। विश्वविद्यालय एक आदर्श के रूप में पहचान बनाए, झारखंड उच्च शिक्षा में अभी कुछ पीछे है, इसे हमे आगे लाने के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।यह अवसर केवल एक प्रतिमा के अनावरण का नहीं, बल्कि एक युगपुरुष के संघर्ष, विचार और प्रेरणा को स्मरण करने का है। स्व. बिनोद बिहारी महतो जी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ, जिन्होंने समाज में शिक्षा, श्रम और आत्मगौरव के महत्व को सशक्त रूप में स्थापित करने की दिशा में अहम योगदान दिया। उनकी स्मृति में स्थापित यह प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती रहेगी कि कठिनाइयों में भी आत्मबल, समर्पण और शिक्षा से परिवर्तन संभव है। वे न सिर्फ़ कोयलांचल क्षेत्र के गौरव थे, बल्कि झारखंड की सामाजिक चेतना के अग्रदूत भी थे।
वहीं, इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बिनोद बिहारी महतो झारखंड के पुरोधा है शिक्षाविद् है, हमलोग सभी महापुरुषों को सम्मान दे रहे है। शिक्षा ने क्षेत्र में चाहे सरकारी स्कूल हो या कॉलेज सभी क्षेत्र में छात्र अच्छे कर रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड आंदोलन की उपज है। इसी वजह से यह राज्य शहीदों के नाम से जाना जाता है। इस राज्य के निर्माण में हमारे पूर्वजों का अहम योगदान रहा है । ऐसे में अपने शहीदों और आंदोलनकारियों को सम्मान देने की परंपरा हम निभाते आ रहे हैं। इसी कड़ी में कई संस्थानों का नामकरण यहां के शहीदों के नाम से किया गया है। धनबाद का बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय भी इसी का परिचायक है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य के कई शहर – गांव , टोला- मोहल्ला और गली शहीदों के नाम से जाने जाते हैं । यहां के चौक -चौराहों पर हमारे शहीदों, आंदोलनकारियों की लगी प्रतिमा यह बताने के लिए काफी है कि इस राज्य के निर्माण में उनका कितना अहम योगदान रहा है। हम अपने शहीदों एवं आंदोलनकारियों के सम्मान की खातिर उनके कार्यो को स्थापित करने की दिशा में निरंतर कदम बढ़ा रहे हैं।