रांची। विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को सदन में हंगामे के बीच विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने भाजपा के चार विधायको को 4 अगस्त तक के लिए निलंबित कर दिया है। इनमें विधायक भानुप्रताप साही, रणधीर प्रसाद, ढुल्लू महतो और जयप्रकाश भाई पटेल शामिल है। विपक्ष के हंगामे के बाद निलंबन का कदम उठाया गया। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हेमंत सरकार में कोयला बालू की लूट का आरोप लगा रहे थे। सदन में विधायक विरंची नारायण ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार भी जेल चले गए तो राज्य की बदनामी होगी। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री अपना पक्ष रखे अथवा पद से इस्तीफा दे दे।
भाजपा विधायकों के हंगामे को देखते हुए स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने कहा कि आपके आचरण से पूरा राज्य वाकिफ है। आप लोगों की मानसिक स्थिति क्या है यह समझ से परे हैं। स्पीकर के बयान के बाद भी भाजपा विधायकों ने हंगामा जारी रखा। सभी भाजपा विधायक ताली बजाकर हंगामा करते हुए वेल पर पहुंच गये। स्पीकर ने लगातार विपक्ष के विधायकों से सदन में शांति बनाए रखने का आग्रह किया। उन्होंने यहां तक कहा कि पिछले सत्र में आपके आचरण को जनता ने देखा है। यह आचरण न तो सदन की गरिमा के लिए उचित है और न ही आपके लिए। बार-बार स्पीकर सदन की गरिमा को बचाने का आग्रह करते रहे। उन्होंने कहा कि एक दल के लोग सारे सभी को डिस्टर्ब कर दे, यह कहीं से उचित नहीं है।
मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग पर भाजपा विधायकों का प्रदर्शन
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने सदन के अंदर और बाहर हंगामा किया। भाजपा विधायकों ने वेल में पहुंचकर खान खनिज लूटने वाली सरकार इस्तीफा दो, घोटालेबाज मुख्यमंत्री इस्तीफा दो के नारे लगाए। मुख्यमंत्री की इस्तीफे के मांग को लेकर भाजपा विधायकों ने सदन के बाहर भी प्रदर्शन किया। सभी विधायक होर्डिंग लेकर बैठे थे। बिरंची नारायण ने कहा कि इस सरकार में मुख्यमंत्री से लेकर उनके विधायक प्रतिनिधि और प्रेस सलाहकार भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। लगातार ईडी द्वारा मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार को समन किया जा रहा है।
विरंची नारायण ने कहा कि अब अगला नंबर मुख्यमंत्री का है। उन्होंने कहा कि राज्य में कोयला, पत्थर और बालू की लूट हो रही है। सरकारी योजनाओं के लिए बालू नहीं मिल रहा है लेकिन बालू की अवैध ढुलाई जारी है। भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कथित रूप से गलत प्रचार करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार झारखंड की खनिज संपदा को लूटने वाली सरकार है। यहां के मुख्यमंत्री घोटाले में शामिल है। सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।
जब सदन में नहीं थे जेपी पटेल तो कैसे हुआ निलंबन : भाजपा
मानसून सत्र के तीसरे दिन मंगलवार को दूसरी पाली की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के विधायक वेल में आकर हंगामा करने लगे। इसके पहले विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने स्पीकर रबीन्द्र नाथ महतो से पूछा कि आपने किस आधार पर जयप्रकाश पटेल को निलंबित किया।उन्होंने स्पीकर को बताया कि जेपी पटेल तो उस दौरान सदन के अंदर थे नहीं। ऐसे में निलंबन का क्या आधार है। उन्होंने कहा कि क्या अब सदन के अंदर भाजपा के विधायक अपनी बात भी नहीं रख सकते हैं। इसके बाद जेपी पटेल का निलंबन वापस लेने की मांग को लेकर विधायक हंगामा करने लगे। बिरंची नारायण ने कहा कि निलंबन गलत हुआ है। भाजपा के सभी विधायकों को निलंबित करें। इसके बाद भाजपा विधायक रिपोर्टिंग टेबल पर चढ़ गए। सीपी सिंह ने स्पीकर से कहा कि पिछली विधानसभा में जब आप विधायक थे तब उस समय स्पीकर पर जूता चप्पल चलाने वालों के साथ थे। इसपर स्पीकर ने कहा कि क्या आप भी हमारे ही रास्ते पर चलना चाहते हैं।
भाजपा विधायकों के निलंबन पर पुनर्विचार कर सकते हैं : स्पीकर
सत्र की समाप्ति के बाद पत्रकारों से बातचीत में विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने चारों विधायकों भानू प्रताप शाही, रणधीर सिंह, ढूल्लू महतो और जेपी पटेल के निलंबन पर कहा कि वे इस विषय पर पुनर्विचार कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि इन विधायकों ने संसदीय मर्यादाओं, प्रोटोकॉल को भंग किया है। कोई भी नहीं चाहेगा कि सदन से सदस्यों को निलंबित किया जाये। आसन को भी सदस्यों के आचरण को देखना होता है कि वह इसे कहां तक बर्दाश्त कर सकता है। संसदीय व्यवस्था और आसन के साथ सही हो रहा या नहीं, कहीं मजाक तो नहीं हो रहा है, इसे सुनिश्चित करना होता है। उन्हें भाजपा विधायकों के मामले में मजबूरन इस तरह की कार्रवाई करनी पड़ी। वे नरम दिल के व्यक्ति हैं। बहुत ज्यादा साहसी भी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि संसदीय मर्यादा को बनाये रखने को ही उन्हें इस तरह का निर्णय लेना पड़ा। सदन में भाजपा दूसरी बड़ी पार्टी है। उनके दल के सदस्यों का भी आदर और सम्मान है। चूंकि प्रस्तावित निर्णय लेने का प्रावधान संवैधानिक व्यवस्था में है, ऐसे में बगैर पक्षपात यह फैसला लिया गया है।