रांची। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पांच नेताओं को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित की सिफारिश की गयी है। यह सिफारिश झारखंड प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति ने की है। प्रभारी अविनाश पाण्डेय व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को सिफारिश की गयी है। समिति ने अपना मंतव्य कमेटि के प्रदेश अध्यक्ष को थमा दिया है। अब प्रदेश अध्यक्ष प्रभारी को प्रेषित करेगे ।
रविवार को पार्टी मुख्यालय में अनुशासन समिति की बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिन लोगों को निष्कासित करने की सिफारिश की गयी है उनमें आलोक दुबे, लाल किशोर नाथ शाहदेव, राजेश गुप्ता, साधु शरण गोप, सुनील सिंह शामिल हैं। हालांकि इन नेताओं को निष्कासित करने का अंतिम फैसला अब प्रभारी और अध्यक्ष लेंगे।बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष बृजेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य नेतृत्व के खिलाफ बयानबाजी और अनुशासनहीनता करने वाले सात नेताओं को 14 दिन पहले नोटिस भेजा गया था। उन्हें अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया। रविवार को सातों नेताओं के जवाबों को लेकर बैठक हुई।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दो सचिव राकेश तिवारी व अनिल कुमार ओझा ने अनुशासन समिति को जवाब भेजा, जिसे देखते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई समाप्त कर दी गयी। वहीं, अन्य पांच नेताओं ने अनुशासन समिति को कोई जवाब नहीं भेजा। इसे देखते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गयी है। जवाब नहीं देने वाले इन पांच नेताओं को अगले छह साल के लिए पार्टी से निकालने की सिफारिश की गयी है। मालूम हो की सभी नेता प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के विरूद्ध मोर्चा खोला था। जो नेता आरोप के घेरे में लाये गये है वो सबके सब मंत्री रामेश्वर उरांव के समर्थक माने जाते है।
जिन नेता पर कार्रवाई की गई है यह पहले से तय था। जिस समय उरांव को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी से हटाकर राजेश ठाकुर को पदभार दिया गया था उसी दिन लड़ाई की शुरूआत हो गई थी ।राजेश ठाकुर उस समय के प्रभारी आरपीएन सिंह के खास माने जाते थे। जब सिंह ने कांग्रेस को बाय बाय कह कर भाजपा का दामन थामा था तो यह उम्मीद लगाई जा रही थी की राजेश ठाकुर भी कांग्रेस का दामन छोड़कर निकल जायेगे ।परन्तु राजेश डटे रह गये ।विरोधी गुट ने जमकर विरोध किया उसी क्रम में लक्ष्मण रेखा लांघ गये ।प्रदेश अध्यक्ष को भी मौका मिल गया और उन्होने मामला अनुशासन समिति को अग्रसारित कर दिया । सभी काम योजनाबद्ध तरीके से किया गया । यह इसलिए किया गया की मामला हाईकमान के पास जाय तो तकनीकी तौर पर विवाद न बने। प्रदेश कमेटि वर्तमान समय में गुटबाजी का केन्द्र बन गया है ।