रांची । विभिन्न आपदा एवं सामाजिक कारणों से गैर संस्थागत देखभाल अंतर्गत आच्छादित बच्चों के बेहतर भविष्य हेतु ऐसे बच्चों को पश्चवर्ती देखभाल कार्यक्रम से जोड़ना अतिमहत्वपूर्ण है, ताकि इन बच्चों को आधारभूत सुविधाओं के साथ-साथ एक उज्जवल भविष्य दिया जा सके। मनरेगा आयुक्त सह निदेशक झारखंड राज्य बाल संरक्षण संस्था राजेश्वरी बी ने कहा कि राज्य के विभिन्न गृहों मे आवसित बच्चों का समाज में एकीकरण की दिशा में कड़े कदम उठाना अति महत्वपूर्ण मामला है। हमें इस दिशा में कार्य करना होगा।
राजेश्वरी बी आज ग्रामीण विकास विभाग के सभागार में बच्चों के पश्चवर्ती देखभाल मार्गदर्शिका का विभिन्न हितधारकों द्वारा गठित प्रारूप की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहीं थीं।
राजेश्वरी बी बच्चों के पश्चवर्ती देखभाल मार्गदर्शिका का विभिन्न हितधारकों द्वारा गठित प्रारूप की समीक्षा करते हुए निदेश दिया कि नीति प्रारूप का निर्धारण करने के उपरांत इसे क्रियांवित करने हेतु अतिरिक्त मानक संचालन प्रक्रिया निर्धरित करना अति आवश्यक है।
मनरेगा आयुक्त ने हितधारकों के सुझाए गए प्रस्तावों पर सहमति जताते हुए कहा कि विभिन्न आपदा और सामाजिक कारणों से गैर संस्थागत देखभाल के अंतर्गत आच्छादित बच्चों का बेहतर भविष्य करने हेतु इन बच्चों की आवश्यकता का आकलन जिला स्तर पर करते हुए इन्हें पश्चवर्ती देखभाल कार्यक्रम से जोड़ना महत्वपूर्ण है।
बता दें कि बैठक में झारखंड किशोर न्याय नियम 2023 का गठन हेतु विहित संशोधन प्रस्तावों को 15 दिनों के अंदर उपस्थित यूनिसेफ और अन्य हित धारक को दिया। कार्यक्रम में बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष काजल यादव, यूनिसेफ बाल रक्षक भारत, सिनी, मिरकल फाउंडेशन, विधि विश्वविद्यालय, जिला बाल संरक्षण इकाई, केंद्रीय मन: चिकित्सा संस्थान और राज्य बाल संरक्षण इकाई के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।