रांची। झारखंड में दल बदल कर सरकार गिराने के आरोपी एव॔ विधायक कैश कांड मामले में फंसे झारखंड प्रदेश कांग्रेस के तीन विधायकों से प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) जल्द पूछताछ करेगी। तीनों विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी को ईडी ने समन भेजकर 13 जनवरी, 16 जनवरी और 17 जनवरी को ईडी के रांची ई डी मुख्यालय कार्यालय में उपस्थित होने को नोटिस किया है।
मालूम हो की 30 जुलाई 2022 को कोलकाता में तीनों विधायकों को गिरफ्तार किया गया था, तब उनके गाड़ी से पुलिस ने 48 लाख रुपये बरामद किए थे। बंगाल पुलिस की सीआईडी की जांच में यह बात सामने आयी थी कि विधायकों ने कोलकाता के ही शेयर ट्रेडर महेंद्र अग्रवाल से पैसे लिए थे। महेंद्र अग्रवाल ने पैसे क्यों दिए इन पहलूओं पर भी ईडी जांच करेगी। हालांकि तीनों विधायकों ने बताया था कि आदिवासी दिवस के लिए उन्हें साड़ी और कंंबल की खरीदारी करनी थी, इसलिए वह पैसे लेकर कोलकाता गए थे। चर्चा यह जोरो पर थी की तीनों विधायक के द्वारा दलबदल के रूप में उन्हे पहली किस्त की राशि दी गई थी जिसे लेकर वो रांची आ रहे थे।इस सम्बन्ध में कांग्रेस के विधायक अनूप सिंह से ईडी कर चुकी है पूछताछ
कांग्रेस विधायक कुमार जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह से ईडी ने बीते 24 दिसंबर 2022 को करीब नौ घंटे तक पूछताछ की थी। साथ ही शिकायतकर्ता के तौर पर उनका बयान दर्ज किया था। ईडी ने पूछा कि झारखंड में सरकार गिराने के लिए उन्हें किसने 10 करोड़ रुपये का ऑफर दिया। उनसे पूछा गया कि क्या यह पेशकश फोन पर की गई थी या शारीरिक रूप से। क्या उन्हें कोई टोकन राशि दी गई थी। उनके पास कुछ भी उपलब्ध हो तो वे प्रासंगिक साक्ष्य साझा करें। ईडी ने बंगाल पुलिस के सामने उनके द्वारा दिए गए बयान को लेकर भी पूछताछ की। ईडी ने पूछा कि पार्टी तोड़ने की पेशकश के बाद उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सूचित किया था या नहीं। और क्या कार्रवाई की गई थी। ईडी ने उनसे पूछा कि क्या पूर्व में भी इस उद्देश्य से उनसे संपर्क किया गया था। कोतवाली थाने में 2020 में दर्ज प्राथमिकी के बारे में भी ईडी ने अनूप सिंह से पूछताछ की थी।
तीन विधायक को नामजद अभियुक्त बनाया गया है
बीते 9 नवंबर 2022 को ईडी ने विधायकों की खरीद फरोख्त के मामले में मनी लाउंड्रिंग की जांच के लिए प्राथमिकी दर्ज की थी। फिलहाल इसमें कांग्रेस के तीन विधायक डॉ. इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। इन तीनों विधायकों को कोलकाता पुलिस ने एनएच-16 पर रानीहाटी के पास 48 लाख रुपये के साथ 30 जुलाई को गिरफ्तार किया था। बाद में इस मामले की जांच पश्चिम बंगाल सरकार ने कोलकाता सीआइडी को ट्रांसफर कर दी थी।तीनो विधायक न्यायालय से जमानत लेकर अभी बाहर है। पार्टी ने उन्हे निलम्बित कर दिया है।आरोप है की तीनो विधायक झारखंड सरकार को गिराने के लिए कैश के साथ साथ कुछ शर्त पर शामिल थे।
कोलकाता में तीनो विधायक को जब कैश के साथ पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था तब एक दिन बाद विधायक अनूप सिंह ने रांची के अरगोड़ा थाने में जीरो एफआइआर दर्ज करायी थी।कांग्रेस के तीनों विधायकों के खिलाफ अनूप सिंह ने रांची के अरगोड़ा थाने में जीरो एफआइआर दर्ज करायी थी, जिसे रांची पुलिस ने कोलकाता पुलिस को ट्रांसफर कर दिया था। ईडी ने इसे ही अपनी प्राथमिकी का आधार बनाया है। ईडी द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी में कहा गया है कि अनूप सिंह ने यह शिकायत की थी कि विधायक डॉ. इरफान अंसारी, नमन विक्सलकोंगाड़ी और राजेश कच्छप उसे फोन कर हेमंत सरकार को गिराने में शामिल होने के लिए लालच दे रहे हैं।
तीनों विधायक उसे कोलकाता बुला रहे हैं और 10 करोड़ रुपये देने का वायदा कर रहे हैं। डॉ. इरफान अंसारी और राजेश कच्छप कोलकाता बुला कर उन्हें गुवाहाटी ले जाना चाहते हैं।वह हिमंता बिश्वा शर्मा से मिलाना चाहते हैं।बिश्वा शर्मा उन्हें नयी सरकार में मंत्री बनाने का भी आश्वासन देंगे। इरफान अंसारी ने अनूप को यह भी कहा कि मुझे स्वास्थ्य मंत्री बनाने का आश्वासन दिया जा चुका है। वह दोपहर में कोलकाता पहुंच रहे हैं। यह भी कहा कि संबंधित लोगों के लिए पैसे मिल चुके हैं। अनूप के गुवाहाटी पहुंचने और असम के मुख्यमंत्री के समक्ष वायदा करने के बाद उनका पैसा भी मिल जायेगा।अनूप ने यह भी बताया गया कि असम के सीएम यह काम दिल्ली में बैठे भाजपा के कुछ बड़े नेताओं की इच्छानुसार कर रहे हैं।
अनूप के अनुसार, तब उन्होंने कहा था कि वह चुनी हुई संवैधानिक सरकार को गिराने के असंवैधानिक काम में शामिल नहीं होना चाहते हैं।इसलिए वह इस बात की सूचना दे रहे हैं, ताकि टोकन मनी लेकर कोलकाता में बैठे विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। शिकायत में संबंधित विधायकों के अलावा अन्य लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (सी) सहित दूसरी धाराओं में प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई करें। इसी जीरो एफआइआर के आधार पर पूरे मामले की जांच पश्चिम बंगाल सरकार ने सीआइडी को सौंप दी थी।