नई दिल्ली।
लोन के ईएमआई का भुगतान न होने के आधार पर किसी भी बैंक खाते को एनपीए नहीं करने का अंतरिम आदेश सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दी। मोरेटोरियम अवधि के दौरान बैंको के ब्याज पर सुनवाई चल रही थी। मालूम हो कि रिजर्व बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि छह महीने की मोरेटोरियम अवधि का ब्याज माफी की मांग गलत है। मामले की अगली सुनवायी अब 10 सितंबर को होगा। सुनवाई में केंद्र की ओर से पेश सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मोरेटेरियम नीति व्यापारियो को लाभ पहुंचाने के लिए लाई गई ताकि वे उपलब्ध पुंजी का जरूरी इस्तेमाल कर सके। इसका मकसद ब्याज माफ नहीं करना है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के सर्कुलर में बैंको को लोन वसूली की प्रक्रिया तय करने की छुट दी गई है। इस संबंध में गठित कमेटी 6 सितंबर को रिपोर्ट देगी। इस पर कोर्ट ने जानना चाहा कि क्या आपदा कानून के तहत सरकार कुछ करेगी। वहीं बैंक समूह के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा हर सेक्टर के लिए भुगतान का अलग प्लान बनाने की योजना है। उन्होंने कहा कि लो रिस्ट्रक्यूरिंग उसी की होगी, जिसका एकाउंट फरवरी तक डिफॉल्ट में नहीं था। तब कोर्ट ने कहा कि एक ओर मोरेटोरियम तो दूसरी ओर ब्याज पर ब्याज नहीं चलेगा। रियल स्टेट कंपनियों के वकील सीए सुंदरम ने ब्याज दर कम करने की जरूरत बताई।
WhatsApp Group जुड़ने के लिए क्लिक करें 👉
Join Now
WhatsApp Group जुड़ने के लिए क्लिक करें 👉
Join Now