पटना।
राज्यपाल कोटे से बिहार विधान परिषद में मनोनीत किए गए 12 विधान पार्षदों में जगह नहीं मिलने पर राज्य के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का दर्द आखिरकार झलक गया। उन्होंने गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जल्द ही कोई बड़ा फैसला लेंगे। इसके बाद राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं। गुप्तेश्वर पांडे ने साफ किया कि अभी वह सभी मसलों पर नजर बनाए हुए हैं और जल्द ही बड़े फैसले की घोषणा करेंगे।
मालूम हो कि पूर्व डीजीपी ने अपने कार्यकाल के 6 महीने पहले ही वीआरएस लेकर जदयू में शामिल हो गए थे। इसके बाद ही यह कयास लगाए जा रहे थे कि जदयू उन्हें विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद गुप्तेश्वर पांडे को विधान परिषद में भेजने की अटकलें चल रही थी। किंतु इस बार भी पार्टी ने उन्हें तरजीह नहीं दी। जबकि उनके साथ सेवानिवृत्त हुए आईपीएस अधिकारी सुनील कुमार को गोपालगंज की भोरे विधानसभा सीट से टिकट दिया गया। फिर चुनाव जीतने के बाद सुनील कुमार को राज का मद्य निषेध विभाग का मंत्री भी बनाया गया। मालूम हो कि मुंबई में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में मोर्चा खोलने वाले गुप्तेश्वर पांडे ने वर्ष 2009 में भी वीआरएस लेकर चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। पर टिकट नहीं मिलने पर वीआरएस का आवेदन वापस लेते हुए पुलिस सेवा में आ गए थे । बाद में उन्हें बिहार का डीजीपी बनाया गया था।