रांची। नौ दिनों तक चलने वाले ऐतिहासिक जगन्नाथपुर रथ मेले के पहले दिन शुक्रवार को मेले में श्रद्धालुओं में जबरदस्त सैलाब उमड़ा। मेले में हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़। राजधानी के धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर मेले में सुबह चार बजे से ही श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया था। भगवान को भोग लगाने के बाद भगवान जगन्नाथ का दर्शन सुबह पांच बजे से सर्व सुलभ हो गया।
राज्यपाल रमेश बैस एवं मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन शुक्रवार रांची धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर पहुंचकर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा, भाई बलभद्र की विधिवत पूजा-अर्चना की। राज्यपाल ने महाप्रभु जगन्नाथ के दर्शन और पूजा-अर्चना कर देश एवं राज्य की खुशहाली, सुख-समृद्धि, शांति और प्रगति की कामना की। राज्यपाल ने कहा कि विधिवत मंत्रोच्चार के साथ आज प्रभु जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के चरणों में पूजा-अर्चना करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। भगवान जगन्नाथ सभी पर अपना आशीर्वाद बनाए रखें। उन्होंने राज्यवासियों को रथ यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने महाप्रभु जगन्नाथ से राज्यवासियों की सुख, समृद्धि और निरोगी जीवन की कामना करते हुए सभी को रथ यात्रा पर्व की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री ने महाप्रभु जगन्नाथ से प्रार्थना किया कि प्रभु का आशीर्वाद सभी पर बना रहे तथा झारखंड विकास की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करे। पंडित राजेश्वर एवं मदन ने विधिवत पूजा का कार्य संपन्न कराया। इस अवसर पर सांसद संजय सेठ, पूर्व सांसद सुबोध कांत सहाय, विधायक नवीन जायसवाल, विधायक राजेश कच्छप, जगन्नाथ मंदिर के प्रथम सेवक सुधांशु नाथ शाहदेव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
इसके बाद महिलाओं और पुरुषों ने अलग- अलग पंक्तियों में भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र एवं बहन सुभद्रा के विग्रह का दर्शन किया। इस दौरान जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में भगवान जगन्नाथ के जयघोष से गूंजता रहा। राज्यपाल रमेश बैस और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी रथयात्रा के मौके पर भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना की। पारंपरिक परिधान पहनकर दोनों ने धुर्वा स्थित रथयात्रा मेले में हिस्सा लिया और पूजा की और राज्य की सुख-समृद्धि की कामना की।
कोरोना महामारी की वजह से पिछले दो साल से रथयात्रा मेले का आयोजन बंद था। इस वजह से इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भी मेले में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।शाम को रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ अपने मुख्य मन्दिर से मौसीबाड़ी के लिए रवाना हुए। श्रद्धालुओं की भीड़ अपने हाथों से रथ खींचकर मौसीबाड़ी तक ले गयी। वहां से अब 10 जुलाई को उन्हें वापस मुख्य मन्दिर लाया जाएगा।
मंदिर के आसपास झूले और कई दुकानें लगायी गयी हैं। मुख्य मंदिर की पहाड़ियों पर राज्य के पारंपरिक हथियार तीर-धनुष, तलवार, भाला और बरछी की अच्छी बिक्री हुई। मछली पकड़ने का जाल खरीदने के लिए भी लोगों की भीड़ लगी रही। मेला क्षेत्र में हल्की बारिश के बावजूद लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ और लोग छाता लगाकर मेले का आनंद उठाते दिखे।
जगन्नाथपुर में शुक्रवार को रथ यात्रा को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। दो साल के बाद रथ यात्रा का आयोजन किया गया था। इसे लेकर जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से सुरक्षा को लेकर पर्याप्त व्यवस्था की गई थी। रथ यात्रा के दौरान मंदिर परिसर और मेले परिसर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस के जवान तैनात थे।
सुरक्षा के लिहाज से 14 जगहों पर बैरिकेडिंग की गई थी। जगह-जगह पर सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन कैमरे से निगरानी रखी जा रही थी। साथ ही मेले परिसर की निगरानी वॉच टावर से भी की जा रही थी। भीड़ में कई पुलिसकर्मी सादे लिबास में भी तैनात दिखे। एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा, ग्रामीण एसपी नौशाद आलम, सिटी एसपी अंशुमान कुमार सहित कई पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद थे। इसके अलावा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक और झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति के कार्यकर्ता भी मौके पर तैनात थे। साथ ही ट्रैफिक पुलिस के जवान भी तैनात थे।
नये रथ पर सवार हुए भगवान जगन्नाथ
लगभग 45 दिनों की मेहनत से भुवनेश्वर से आये कारीगरों ने नए रथ का निर्माण किया हैl जिसकी लंबाई 26 फीट और चौड़ाई 32 फीट हैl इसी रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ मौसीबाड़ी गएl रथ के निर्माण में सखुआ की लकड़ी के अलावे धातु के रूप में लोहे और पीतल का उपयोग किया गया हैl इतना ही नहीं रथ के साथ लकड़ी के बने घोड़े और सारथी को भी जोड़ा गया है।
चाईबासा में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने खींचा भगवान जगन्नाथ का रथ
रथ यात्रा के अवसर पर चाईबासा में शुक्रवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने सदर बाजार स्थित रथ मार्ग पहुंचकर महाप्रभु जगन्नाथ, माता सुभद्रा एवं भगवान बलभद्र का विधिवत पूजा अर्चना कर रथ खींचा। इस दौरान उन्होंने महाप्रभु जगन्नाथ से प्रदेशवासियों की सुख, समृद्धि और निरोगी जीवन की कामना करते हुए सभी को रथ यात्रा पर्व की बधाई और शुभकामनाएं दी।
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने कहा कि भगवान जगन्नाथ झारखंड की संस्कृति से समान रूप से जुड़े हुए हैं। रथ यात्रा का यह त्यौहार ओडिशा की तरह झारखंड की संस्कृति का भी अभिन्न हिस्सा है।आज के दिन भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकालने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। उत्कल संस्कृति और झारखंड की संस्कृति के बीच की यह साझेदारी अटूट है।
इस मौके पर त्रिशानु राय, जितेंद्र नाथ ओझा, चंद्रशेखर दास, विश्वनाथ तामसोय, दिकु सावैयां, कृष्णा सोय, राकेश कुमार सिंह, मोगम्मद सलीम, संतोष सिन्हा, रवि कच्छप, धर्मेंद्र साह, प्रेम पुरती, गुरुचरण सोनकर, गणेश तिवारी, बासुदेव सिंकु आदि उपस्थित थे।