बेगूसराय।

मंडलकारा में बंद विचाराधीन कैदी की इलाज के दौरान हुई मौत का मामला तूल पकड़ने लगा है। मृतक के परिजनो ने इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कारा प्रशासन पर सवालिया निशान खड़ा किया है, जबकि कारा प्रशासन ने इस आरोप से इंकार किया है। विचाराधीन कैदी मनोज यादव की मौत सोमवार को हुई है। जानकारी अनुसार आर्म्स एक्ट के एक मामले में मंडल कारा में बंद कैदी मनोज यादव अस्थमा रोग से पीड़ित था। उसका इलाज चल भी रहा था।
चार दिन पहले उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां से एक दिन पहले रविवार को उसे छुट्टी दे दी गई थी, फिर सोमवार को उसकी हालत खराब होने पर इलाज के लिए उसे सदर अस्पताल भेजा गया। पर वहां उसकी मौत इलाज के दौरान हो गई। इस पर मृतक के पुत्र शंभू यादव ने कारा प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा कि उसके पिता की हालत खराब होने के बावजूद जबरन उन्हें रविवार को मंडल कारा भेज दिया गया था। उसी रात में उनकी हालत बिगड़ गई तो सुबह में सदर अस्पताल भेजा गया। उसने यह भी कहा कि इलाज के लिए लाने में देरी होने के कारण उनकी मौत रास्ते में हो गई। बाद में कारा प्रशासन ने मामल की लीपापोती के लिए मृतक को सदर अस्पताल में भर्ती कराने का प्रयास किया गया, हालांकि सदर अस्पताल के डॉक्टरो ने इस आरोप से इंकार किया है।