रांची। भाकपा माओवादी के 15 लाख का ईनामी रीजनल कमांडर अमन गंझू उर्फ अनिल गंझू उर्फ प्रमुख सिंह भोक्ता उर्फ काजू जी उर्फ काजू भोक्ता ने बुधवार को आईजी कार्यालय में सरेंडर किया। इसके खिलाफ 17 मामले दर्ज थे। इनमें गढ़वा में 10 और लातेहार में सात मामले दर्ज हैं।अमन गंझू औरंगाबाद के ढिबरा थाना क्षेत्र के झरना गांव का रहने वाला है। सरेंडर करने के बाद ईनाम की राशि उसे दे दी गयी।
गौरतलब हो कि 8 फरवरी को लातेहार के बुलबुल जंगलों में पुलिस ने डबल बुल ऑपेरशन चला कर नक्सलियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। अमन गंझू लातेहार, लोहरदगा और गुमला जिले में सक्रिय था। इस दौरान अमन ने कई बड़े वारदात को अंजाम दे चुका है। लेकिन पुलिस की दबिश बढ़ता देख नक्सली अमन से आत्म समर्पण किया है।
अमन के आत्म समर्पण से लातेहार, गुमला और लोहरदगा में माओवादियों की कमर टूट गई है। अमन ने पुलिस को कई जानकारी भी दिया है। किस तरह से नक्सली जंगलों में छुप कर रह रहे हैं। नक्सलियों का अभी क्या मौजूदा स्तिथि है, यह जानकारी लेने के बाद पुलिस अब कार्रवाई की योजना तैयार करने में लगी है। इस दौरान आईजी अभियान एवी होमकर, डीआईजी अनूप बिरथरे सहित सीआरपीएफ सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।आईजी ने बताया कि अमन के सरेंडर से माओवादी संगठन को कोयल शंख जोन सहित पूरे झारखंड, बिहार एवं छतीसगढ़ में भारी झटका लगा है। इस सरेंडर में झारखंड पुलिस, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के साथ-साथ कोबरा एवं केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के पटना रेंज फिल्ड टीम के द्वारा अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी गयी है।
रिश्तेदार से जमीन विवाद होने के बाद अमन गंझू वर्ष 2004 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ
रिश्तेदार से जमीन विवाद होने के बाद अमन गंझू वर्ष 2004 में नक्सली संगठन में शामिल हुआ और तब से संगठन में सक्रिय रह कार्य कर रहा था। वह बुढ़ा पहाड़ और बुलबुल जंगल में सक्रिय है। भाकपा माओवादी के बिहार रिजनल कमेटी (बीआरसी) के तहत कोयल शंख जोन के शीर्ष नेता अरविन्द जी की मृत्यु के बाद संगठन के विस्तार, नीति निर्धारण, कार्रवाई की योजना में अमन गंझू का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
नक्सलियों के खिलाफ मिली सफलता
आईजी अभियान एवी होमकर ने बताया कि वर्ष 2022 में झारखंड पुलिस ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल सहित अन्य केन्द्रीय अर्द्धसैनिक बलों के साथ मिलकर भाकपा माओवादी के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई छेड़ी थी। इसके तहत कई दशकों से झारखंड, छत्तीसगढ़ की सीमा पर नक्सलियों के शरणस्थली रही बुढापहाड़ क्षेत्र में सितम्बर माह में ऑपरेशन “ऑक्टोपस” चलाया गया।
आईजी ने बताया कि इस अभियान में बुढा पहाड़ क्षेत्र को लगभग नक्सल मुक्त कराते हुए गढ़वा जिला के बुढ़ा पहाड़ की चोटी पर झालुडेरा में लातेहार जिलान्तर्गत तिसीआ एवं नवाटोली में तथा झारखंड की सीमा से सटे छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिला पुंदाग में सुरक्षाबलों का कैम्प स्थापित किया गया। सटीक सूचना के आधार पर नक्सलियों द्वारा छिपा कर रखे गये एलएमजी रायफल सहित कुल 17 हथियार, हजारों की संख्या में जिंदा कारतूस, ग्रेनेड सहित भारी मात्रा में आईईडी-विस्फोटक बरामद किये गये।
इस अभियान ने क्षेत्र में नक्सलियों की कमर तोड़कर रख दी। उन्हें जान बचाने के लिए पलायन करने पर मजबूर कर दिया। पुलिस की इस बढ़ती दबिश के साथ-साथ भाकपा माओवादी संगठन के आंतरिक शोषण एवं भयादोहन से क्षुब्ध होकर कई नक्सलियों द्वारा पुलिस से सम्पर्क कर मुख्य धारा में जुड़ने की इच्छा व्यक्त की गयी। इसी क्रम में अमन ने सरेंडर किया। होमकर ने बताया कि झारखंड पुलिस ने तीन वर्षों में 1311 नक्सली को गिरफ्तार किया है। इस दौरान 30 नक्सली मारे गये है जबकि 48 नक्सलियों ने सरेंडर किया।