रांची। राज्यपाल और सरकार के बीच फिर एक बार विवाद गहरा गया है।इस बार विवाद का बिषय बना है टीएसी की बैठक ।जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) को लेकर एक बार फिर राजभवन और झारखंड सरकार में टकराव के जोर पकड़ने की आशंका बन रही है।टीएसी नियमावली को राजपाल ने असंवैधानिक बताने के बावजूद टीएसी की बैठक आयोजित करने तथा इसकी सूचना राजभवन को नहीं देने को गंभीरता से लिया है।
राज्यपाल के प्रधान सचिव नितिन मदन कुलकर्णी ने मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के माध्यम से सरकार से पूछा है कि आखिर राजभवन की आपत्ति पर जवाब दिए बिना किस परिस्थिति में टीएसी की बैठक आयोजित की गई। उन्होंने इसे संविधान की पांचवीं अनुसूची के प्राविधानों के विरुद्ध बताया है।
राजपाल रमेश बैस ने झारखंड सरकार को दिया था संशोधन का निर्देश
राज्यपाल रमेश बैस ने टीएसी के गठन संबंधित नियमावली को असंवैधानिक बताते हुए उनमें संशोधन के निर्देश झारखंड सरकार को दिए थे। राज्य सरकार ने उसमें कोई संशोधन तो नहीं किया, पिछले दिनों इसकी बैठक भी आयोजित कर दी और उसमे कुछ प्रस्ताव पारित कर दी थी। जैसा की बताया गया है और प्रावधान है टीएसी के गठन में कम से कम दो सदस्य राजभवन से अनिवार्य होने चाहिए।
मालूम हो की राज्यपाल ने टीएसी नियमावली से संबंधित नियमावली मंगाकर उसपर कानूनी सलाह लेने के बाद राज्य सरकार को वापस लौटा दी थी। उन्होंने गठित नियमावली को असंवैधानिक बताते हुए कहा था कि टीएसी के गठन में कम से कम दो सदस्यों का मनोनयन राजभवन से अनिवार्य रूप से हाेना चाहिए। वर्तमान में गठित टीएसी में ऐसा नहीं किया गया। साथ ही पांचवीं अनुसूची के तहत नियमावली पर भी उनकी स्वीकृति जरूरी थी।
तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के समय से ही चल रहा टीएसी के गठन का विवाद
राज्य सरकार ने राजभवन की आपत्ति पर कोई जवाब नहीं दिया। टीएसी के गठन का विवाद तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के समय से ही चल रहा है। उन्होंने भी राजभवन से दो सदस्यों के मनोनयन नहीं होने पर सवाल उठाया था। इस बीच राज्य सरकार ने टीएसी के गठन को लेकर नई नियमावली गठित कर दी। साथ ही नई नियमावली की फाइल राजभवन की स्वीकृति के लिए नहीं भेजी गई।
मुख्यमंत्री की स्वीकृति से ही सदस्यों की नियुक्ति
नई नियमावली में अब टीएसी के गठन और सदस्याें की नियुक्ति में राजभवन का अधिकार खत्म कर दिया गया है। मुख्यमंत्री की स्वीकृति से ही सदस्यों की नियुक्ति हो रही है। राज्य सरकार द्वारा कहा गया कि नई नियमावली छत्तीसगढ़ की तर्ज पर बनाई गई जहां सदस्यों की नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री का है। इधर, राज्यपाल रमेश बैस ने टीएसी के गठन में राजभवन का अधिकार खत्म किए जाने की जानकारी तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी दी थी।