Ranchi: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य के हर बच्चे को शिक्षित किये बिना उन्नत और समृद्ध झारखंड का सपना पूरा नहीं हो सकता है। इसके लिये सामूहिक भागीदारी जरूरी है। स्कूल, अभिभावक, सरकार और समाज को भी मिलकर आगे आना होगा।मुख्यमंत्री सोमवार को होटवार स्थित खेलगांव स्टेडियम में उत्कृष्ट विद्यालय के प्रबंध समिति के राज्यस्तरीय सम्मेलन में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि हमें संकल्प लेना होगा कि राज्य के हर बच्चे को शिक्षित बनाना है। गरीब के बच्चों को पढ़ाकर उन्हें बेहतर जिंदगी देने को लेकर सरकार हमेशा चिंतित रहती है। हमारे सरकारी स्कूल के बच्चे अभावग्रस्त में पढ़ते हैं हमें उन बच्चों को बेहतर संसाधन देना होगा, ताकि हमारे बच्चे किसी प्राइवेट स्कूल के बच्चे से कमतर न हों।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के गरीब बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन मिले, इसके लिये सरकार हर स्तर से प्रयास कर रही है। पहले चरण में सरकार ने 80 विद्यालयों को उत्कृष्ट विद्यालय के तौर पर चिन्हित किया है। धीरे-धीरे और भी स्कूलों को को उत्कृष्ट विद्यालय के तौर पर विकसित किया जायेगा। अब स्कूलों के प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी पहले से और ज्यादा बढ़ गयी है। सरकार कड़ी दर कड़ी कदम बढ़ा रही है। इस पर हमारी कड़ी नजर रहेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार व्यवस्था उपलब्ध करा सकती है। संसाधन दे सकती है लेकिन उन संसाधनों का सही तरीके से दोहन किया जा सके, इसके लिए स्कूल संचालन समिति की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि हमने बस शुरुआत कर दी है। हमारी नजर इन उत्कृष्ट विद्यालयों पर होगी। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आने वाले दिनों में मैं खुद इन स्कूलों का औचक निरीक्षण करूंगा। समय-समय पर विभाग के अधिकारी भी स्कूल जाएंगे।
उन्होंने कहा कि राज्य की शैक्षणिक स्थिति देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले कमजोर जरूर है लेकिन अब ऐसी नहीं होगी। उन्होंने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्लानिंग पर भी इशारा करते हुए कहा कि जब हमारे उत्कृष्ठ 80 विद्यालय बेहतर प्रदर्शन करेंगे तो आने वाले दिनों में जो स्कूल उत्कृष्ठ विद्यालय बनाए जाएंगे वहां न केवल पढ़ाई होगी बल्कि वहां हॉस्टल सुविधा भी दी जाएगी। इसके अतिरिक्त अब स्टूडेंट्स के साथ-साथ स्कूलों के बीच भी प्रतियोगिता कराई जाएगी। वैसे विद्यालय जहां हॉस्टल की सुविधा होगी, वहां बेहतर प्रदर्शन करने वाले बच्चों का ही एडमिशन होगा। इन स्कूलों के बच्चों को शिक्षकों के साथ दूसरे राज्य भी भेजे जाएंगे ताकि वह समझ सके कि हम अन्य राज्यों से कितने पिछड़े हैं या दूसरे राज्यों से हमें क्या कुछ सीखना है।
हेमंत सोरेन ने कहा कि शैक्षणिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए हमें मिशन मोड में काम करना होगा। हम निश्चित रूप से पीछे हैं लेकिन जो गैप रह गया है उस गैप को खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य के स्कूलों में कॉन्ट्रैक्ट, मानदेय जैसे मोड में शिक्षकों की नियुक्तियां हो रही हैं। समय के अनुसार इनकी जरूरतों को भी पूरा किया जाएगा। स्कूल बेहतर बने इसके लिए तमाम संसाधनों को पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त करते हुए कहा कि राज्य के कर्मचारियों को अपनी मांगों के लिए आंदोलन करने की जरूरत नहीं है। आपकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हम विभागीय स्तर पर अक्सर बातचीत करते रहते हैं। जो कुछ भी कानून सम्मत बन पाएगा उसे पूरा किया जाएगा।
शिक्षा सचिव के रविकुमार ने कहा कि सरकार की मंशा है कि प्रखंड से लेकर पंचायत तक लीडरशिप स्कूल हो। सारे सरकारी स्कूलों को इंग्लिश मीडियम करने की पहल कर दी गयी है। किसी बच्चे की पढ़ाई न रूके।शिक्षा सचिव ने सारे प्राचार्य, प्रबंधन समिति के सदस्यों से अपील की है कि पढ़ाई में कमी न करें, गरीब बच्चों को पढ़ाना भगवान की सेवा करने जैसा काम है। बच्चों के विकास पर ध्यान दें, ताकि आगे चलकर उन्हें इसका लाभ मिले।
झारखंड शिक्षा परियोजना निदेशक किरण पासी ने आयोजन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह राज्य सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इसके तहत पहले चरण में 80 उत्कृष्ट विद्यालयों की शुरुआत की गई है। इन स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न पर पढ़ाई कराई जाएगी। यह स्कूल बारहवीं तक संचालित होंगे। इन स्कूलों में वर्तमान वे सारी सुविधाएं होंगी जो किसी निजी स्कूल में होती हैं। इन 80 स्कूलों में 24 जिला स्कूल, 24 बालिका विद्यालय, 24 कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय और 7 मॉडल इंग्लिश स्कूल शामिल हैं। उन्होंने बताया कि इन स्कूलों के संचालन के लिए स्कूल संचालन समिति के अध्यक्ष को ट्रेनिंग भी दी गई है। यह 1 साल की ट्रेनिंग कराई गई है। आने वाले दिनों में इसे पूरा किया जाएगा।