भूमिहार-यादव अपनी-अपनी श्रेणी में सबसे गरीब
राज्य में सिर्फ सात प्रतिशत लोग ग्रेजुएट
Patna: बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विधानसभा के पटल पर जाति आधारिक गणना की आर्थिक रिपोर्ट पेश कर दी गई। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की करीब एक तिहाई आबादी गरीब है। बिहार के 34.13 प्रतिशत परिवारों की मासिक आय महज छह हजार रुपये है। सरकार ने इन्हें गरीबी की श्रेणी में डाला है। भूमिहार और यादव ऐसी जातियां हैं जो अपने-अपने श्रेणी में सबसे गरीब है।
सामान्य श्रेणी में भूमिहार समाज के करीब 27 फीसदी परिवार गरीब हैं। ब्राह्मण में 25.3 फीसदी परिवार गरीब हैं जबकि राजपूत के 24.89 फीसदी गरीब परिवार हैं। कायस्थ में 13.83 फीसदी गरीब परिवार है। सामान्य वर्ग में मुस्लिम वर्ग से शेख में 25.84 फीसदी गरीब परिवार हैं जबकि पठान (खान) में 22.20 फीसदी परिवार गरीब हैं और सैयद में 17.61 फीसदी गरीब परिवार हैं। रिपोर्ट में कुल मिलाकर सामान्य वर्ग में 25.9 फीसदी परिवार गरीब हैं।
पिछड़ा वर्ग में आर्थिक रूप से गरीब परिवार में सबसे ज्यादा यादव जाति के लोग गरीब हैं। यादव में 35.87 फीसदी परिवार गरीब हैं। इसी वर्ग में 34.32 फीसदी कुशवाहा परिवार गरीब हैं। कुर्मी में 29.90 फीसदी परिवार गरीब हैं जबकि बनिया में 24 .62 फीसदी परिवार गरीब हैं। पिछड़ा वर्ग में ही सूर्यापुरी मुस्लिम 29.33 फीसदी परिवार गरीब हैं जबकि सुनार में 26.58 फीसदी परिवार गरीब हैं।
बिहार में आबादी की शैक्षणिक स्थिति की जो रिपोर्ट आई है उसके अनुसार बिहार की 22.67 आबादी के एक से पांचवीं तक की शिक्षा ग्रहण कर पाई है। वर्ग 6 से 8 तक की शिक्षा 14.33 प्रतिशत आबादी के पास है। वर्ग 9 से 10 तक की शिक्षा 14.71 प्रतिशत आबादी ग्रहण कर पाई है। वर्ग 11 से 12 तक की शिक्षा 9.19 प्रतिशत आबादी को नसीब हो पाया है। ग्रेजुएट की शिक्षा मात्र सात प्रतिशत लोगों को मिली है। समझा जाता है कि यह रिपोर्ट समाज के साथ राजनीतिक समीकरण को भी प्रभावित करेगी। पिछड़ों एवं अति पिछड़ों को संख्या के अनुसार आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग पहले से चल रही है।
सामान्य वर्ग में 10 से 20 हजार मासिक आय 19 प्रतिशत आबादी है। 20 से 50 हजार मासिक आय 16 प्रतिशत आबादी है। 50 हजार से ज्यादा मासिक आय वाले 9 प्रतिशत हैं। छह हजार मासिक आय वाले 25 प्रतिशत हैं ।
बिहार में किस वर्ग को कितनी सरकारी नौकरी
सामान्य वर्ग के पास 6 लाख 41 हजार 281 लोगों को नौकरी, जो कुल 3.19 प्रतिशत है। भूमिहार जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 01 लाख 87 हजार 256, जो 4.99 प्रतिशत है। ब्राह्मण जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 01 लाख 72 हजार 259, जो 3.60 प्रतिशत है। राजपूत जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 01 लाख 71 हजार 933, जो 3.81 प्रतिशत है। कायस्थ जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 52 हजार 490, जो 6.68 प्रतिशत है। मुस्लिम आबादी में शेख जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 39 हजार 595, जो .79 प्रतिशत है। पठान जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 10 हजार 517, जो 1.07 प्रतिशत, सैयद जाति के पास सरकारी नौकरी में हिस्सेदारी 7 हजार 231, जो 2.42 प्रतिशत है। पिछड़े वर्ग में तेली : 53 हजार 56, 1.44 प्रतिशत, मल्लाह : 14 हजार 100, 0.41 प्रतिशत, कानू : 34 हजार 404, 1.19 प्रतिशत, धानुक : 33 हजार 337, 1.19 प्रतिशत, नोनिया : 14 हजार 226, 0.57 प्रतिशत, चंद्रवंशी : 31 हजार 200, 1.45 प्रतिशत, नाई : 28 हजार 756, 1.38 प्रतिशत, बढ़ई : 20 हजार 279, 1.07 प्रतिशत, हलवाई : 9 हजार 574, 1.20 प्रतिशत
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