Giridih News: जिले के घोरथम्बा में होली के जुलूस को लेकर दो समुदाय के बीच हुई हिंसक झड़प-आगजनी की घटना को लेकर पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। घोरथम्बा ओपी पुलिस ने रविवार को बताया कि साम्प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने के इस मामले में गिरिडीह एसपी डॉ. विमल कुमार के निर्देश पर घोरथम्बा ओपी में घटनास्थल पर तैनात दंडाधिकारी सुरेश बरनवाल के आवेदन पर केस दर्ज कर लिया है। दंगा भड़काने के आरोप में पुलिस ने दोनों समुदाय के 40-40 लोगों को नामजद और 250 अज्ञातों के खिलाफ केस दर्ज किया है। साथ ही छापेमारी कर इस मामले में पुलिस ने दोनों समुदाय के 11-11 आरोपितों को जेल भेजा है।

इस बीच रविवार को घोरथम्बा में शांति बहाल करने के लिए खोरीमहुआ अनुमंडल कार्यालय में अधिकारियों के साथ दोनों समुदाय के लोगों के साथ बैठक की गई। जिसमें खोरिमहुआ अनुमंडल एसडीएम अनिमेष रंजन और एसडीपीओ राजेंद्र प्रसाद ने घटना की कड़ी निंदा की और कहा कि काफी तेजी से तनाव पूर्ण स्थिति में सुधार हुआ है, अब लगभग स्थिति बिल्कुल सामान्य है।
बैठक में मौजूद दोनों समुदाय के लोगों ने भी घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि इलाके में शांति व्यवस्था कायम रखने की जरूत है, लेकिन कुछ लोगों ने माहौल खराब किया। बैठक में सफ़ीक़ अंसारी, गौतम सिंह, असगर अली, रामेश्वर चौधरी, राजू पांडेय, अजय रंजन, जयप्रकाश साहा, बसंत भोक्ता, नरेश विश्वरकर्मा, उदय सिंह, अशोक राय समेत कई नागरिक मौजूद थे।
हेमन्त सरकार, हिन्दू विरोधी सरकार : बाबूलाल मरांडी
भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया एक्स के माध्यम से हेमन्त सरकार पर बड़ा निशाना साधा है। मरांडी ने रविवार को राज्य सरकार को हिंदू विरोधी बताते हुए कहा कि उनकी आशंका सही साबित हुई।
उन्होंने कहा कि शनिवार को आशंका व्यक्त की थी कि होली के दिन गिरिडीह के घोरथम्बा में हुई हिंसा मामले में प्रशासन उपद्रवियों का बचाव करते हुए मामले को संतुलित दिखाने के लिए पीड़ित हिंदू पक्ष पर कारवाई कर सकती है। उन्होंने कहा कि अब इस मामले में दर्ज एफ.आई. आर. को देखने से ऐसा लगता है जैसे यह कोई शिकायतवाद नहीं, बल्कि हिंदुओं पर हुए हमले का एक पूर्व नियोजित खाका हो।
उन्होंने कहा कि एफआइआर में जिस प्रकार से घटना को वर्णित किया गया है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस-झामुमो के शासन में हिंदुओं ने होली मनाकर कोई अपराध कर दिया है। यदि हिंदू अपना त्योहार मनायेंगे तो उनपर बोतल बम और पत्थर से हमला होगा, फिर उसके बाद घटना का दोषी बताते हुए उनपर ही मुकदमा भी दर्ज होगा।
उन्होंने कहा कि यह एफआइआर पूरी तरह तुष्टिकरण से प्रभावित लगती है, जिसमें हेमंत सरकार की हिंदूविरोधी मानसिकता स्पष्ट नज़र आती है। सिर्फ पीड़ित हिंदू पक्ष को कटघरे में खड़ा कर उन्हें ही दोषी ठहराए जाने की सुनियोजित साजिश रची गई है। घटना के असली गुनहगारों को बचाने की पटकथा (एफआइआर)लिखकर सरकार ने उपद्रवियों का मनोबल बढ़ाने और भविष्य में हिंदुओं के ऊपर ऐसे ही हिंसक हमले करने के लिए प्रेरित किया है।