झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ आखिरकार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उम्मीदवार का नाम तय कर लिया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के गढ़ माने जाने वाले बरहेट (एसटी) विधानसभा सीट से भाजपा ने गमालियल हेम्ब्रम को टिकट देने का निर्णय किया है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर 20 नवंबर को मतदान होगा। वर्ष 2014 से लगातार हेमंत सोरेन बरहेट विधानसभा सीट से जीतते आ रहे हैं, और इसे झामुमो का अभेद्य गढ़ माना जाता है।
बरहेट में भाजपा को पहली जीत का इंतजार
बरहेट, संताल परगना के साहिबगंज जिले में स्थित है और यह सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए हमेशा चुनौती रही है। इस सीट पर आज तक भाजपा को जीत हासिल नहीं हुई है। 1957 और 1962 में झारखंड पार्टी के बाबूलाल टुडू यहां से चुनाव जीत चुके हैं, और इसके बाद 1967 व 1972 में मसीह सोरेन ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा में अपनी जगह बनाई थी। वर्ष 1977 में परमेश्वर हेम्ब्रम ने जनता पार्टी के टिकट से जीत दर्ज की थी।
1990-2000: झामुमो के हेमलाल मुर्मू का दौर
1980 और 1985 में कांग्रेस के थॉमस हांसदा ने बरहेट सीट से जीत हासिल की थी। इसके बाद 1990, 1995 और 2000 के चुनावों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के हेमलाल मुर्मू ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की। इस दौरान झामुमो का इस क्षेत्र में खासा दबदबा बना रहा। वर्ष 2005 में झामुमो के थॉमस सोरेन ने इस सीट से जीतकर झामुमो का वर्चस्व बरकरार रखा।
हेमंत सोरेन: बरहेट से जीत कर बने मुख्यमंत्री
2009 में फिर हेमलाल मुर्मू ने बरहेट से जीत दर्ज की, लेकिन 2014 में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और दिशोम गुरु के पुत्र हेमंत सोरेन ने इस सीट से चुनाव जीतकर भाजपा को शिकस्त दी। इसके बाद 2019 में एक बार फिर हेमंत सोरेन ने इस सीट से जीत हासिल की और झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
क्या गमालियल हेम्ब्रम बना सकेंगे भाजपा के लिए इतिहास?
बरहेट (एसटी) विधानसभा क्षेत्र पर झामुमो के किले को भेदने के लिए भाजपा ने गमालियल हेम्ब्रम को अपना प्रत्याशी बनाया है। हेमंत सोरेन के खिलाफ भाजपा की इस चुनौती को लेकर क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गर्म है। भाजपा को उम्मीद है कि इस बार इतिहास रचते हुए गमालियल हेम्ब्रम झामुमो के किले में सेंध लगाने में सफल होंगे