Bihar Teacher : बिहार में सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण समाचार सामने आया है। दशहरा से पहले नीतीश सरकार ने शिक्षकों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी की घोषणा की है, जिससे लंबे समय से इंतजार कर रहे शिक्षकों के चेहरे पर मुस्कान आ गई है। लेकिन इस तबादला नीति में स्थानीय निकायों से नियुक्त शिक्षकों के साथ खेला हो गया है, उन्हें इस नीति का फायदा नहीं मिलेगा. शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि यह नीति केवल बीपीएससी से नियुक्त, सक्षमता परीक्षा पास नियोजित शिक्षकों और पुराने वेतनमान वाले शिक्षकों पर लागू होगी। इसके तहत, ये शिक्षक अपने ही जिले में स्थानांतरित हो सकेंगे.
पति-पत्नी को एक ही विद्यालय में पोस्टिंग
शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि पति-पत्नी को एक ही विद्यालय में पोस्टिंग दी जाएगी। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी, और दिसंबर से ट्रांसफर-पोस्टिंग का काम आरंभ होगा। शिक्षकों को ट्रांसफर के लिए 10 विकल्प दिए जाएंगे, और उनकी पोस्टिंग पांच साल के लिए होगी। हालांकि, दिव्यांग और गंभीर बीमारी से ग्रसित शिक्षकों को इस नीति के तहत प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सके।
बीमार शिक्षकों को मिलेगी वरीयता
मंत्री ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी शिक्षक परेशान न हो, ताकि वे बच्चों को बेहतर तरीके से शिक्षा दे सकें। उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारी से ग्रसित और दिव्यांग शिक्षकों को पहले प्राथमिकता दी जाएगी, इसके बाद विधवा, तलाकशुदा महिला शिक्षिकाओं की पोस्टिंग की जाएगी। शिक्षा मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि ट्रांसफर और पोस्टिंग प्रक्रिया पारदर्शिता के साथ सॉफ्टवेयर आधारित एप्लिकेशन के माध्यम से की जाएगी। रिक्तियों की गणना शिक्षा का अधिकार अधिनियम, छात्र-शिक्षक अनुपात और आधारभूत संरचना की उपलब्धता के आधार पर की जाएगी।
स्कूलों में शिक्षकों की पोस्टिंग का अनुपात 10 से 30 प्रतिशत के बीच होगा, जिसमें नियमित शिक्षकों का 10 प्रतिशत और स्थानीय निकायों से नियुक्त शिक्षकों का 30 प्रतिशत होगा। यदि किसी शिक्षक पर स्थानीय राजनीतिक गतिविधियों में संलिप्तता, वित्तीय अनियमितता, या नैतिक भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप साबित होते हैं, तो ऐसे शिक्षकों का ट्रांसफर जिला से बाहर किया जाएगा। जिले के अंदर ट्रांसफर और पोस्टिंग की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला स्थापना समिति के पास होगी। इसके साथ ही, प्रमंडल के भीतर अंतर जिला स्थानांतरण समिति का गठन भी किया जाएगा, ताकि ट्रांसफर प्रक्रिया को सुचारु रूप से चलाया जा सके।
हालांकि, इस नई नीति से कुछ शिक्षकों में असंतोष भी देखा जा रहा है, खासकर उन शिक्षकों के बीच जो स्थानीय निकायों से नियुक्त हुए हैं। उनका कहना है कि इस नीति के कारण वे अपनी नौकरी से वंचित रहेंगे, और यह एक प्रकार का ‘खेला’ है जो उनके हक को छीनने का प्रयास है। अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और कैसे इस नीति को कार्यान्वित किया जाता है।