पटना हाईकोर्ट ने बिहार में शिक्षकों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर फिलहाल रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को ट्रांसफर नीति को और स्पष्ट करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। जब तक सरकार हलफनामा दायर नहीं करती और कोर्ट अंतिम फैसला नहीं सुनाती, तब तक शिक्षकों के तबादले पर रोक जारी रहेगी।
नीति स्पष्ट करने के निर्देश
जस्टिस प्रभात कुमार सिंह की अगुवाई में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह तबादला नीति में मौजूद अस्पष्टताओं को दूर करे। शिक्षकों की ओर से दायर याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति शिक्षकों को गुमराह करने वाली है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक सरकार नीति को स्पष्ट नहीं करती, तब तक ट्रांसफर की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाती है।
क्या है विवाद?
शिक्षा विभाग ने हाल ही में शिक्षकों के ट्रांसफर के लिए एक नई नीति जारी की थी।
- महिला शिक्षकों को 10 पंचायतों और पुरुष शिक्षकों को 10 सब डिवीजन में पोस्टिंग के विकल्प देने के निर्देश दिए गए थे।
- विभाग ने यह भी कहा कि अगर तय समय तक (22 नवंबर 2024) शिक्षक अपनी प्राथमिकताएं नहीं देते, तो उनका तबादला सरकार अपने हिसाब से करेगी।
- इस नीति को लेकर शिक्षकों ने आरोप लगाया कि इसमें कई खामियां और मनमानी है।
शिक्षक संगठनों का आरोप
औरंगाबाद के शिक्षकों की ओर से याचिका दाखिल की गई, जिसमें सरकार पर आरोप लगाया गया कि ट्रांसफर नीति में अस्पष्टता है आवेदन प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं हो रहा। शिक्षकों के विकल्पों को अनदेखा किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मृत्युंजय कुमार ने पक्ष रखा, जबकि सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ललित किशोर ने अपना तर्क दिया।
क्या होगा आगे?
पटना हाईकोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने और हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इसके बाद मामले पर अगली सुनवाई होगी। इस फैसले से जहां शिक्षकों को निराशा हुई है, वहीं सरकार के लिए भी यह एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
शिक्षकों को क्या करना चाहिए?
जब तक हाईकोर्ट का अंतिम फैसला नहीं आता, शिक्षकों को अपनी प्राथमिकताएं देने या किसी भी प्रक्रिया में शामिल होने से पहले सरकार के नए निर्देशों का इंतजार करना चाहिए।