बिहार में सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए राज्य सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, बिहारशरीफ और गया में ट्रैफिक सर्वे का काम सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही, 750 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग का भी सर्वेक्षण किया गया है। इस सर्वे की रिपोर्ट अब राज्य सरकार को सौंप दी गई है, जिससे आने वाले दिनों में सुधारात्मक उपायों को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है।
सर्वे रिपोर्ट के आधार पर इन शहरों में कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इस दिशा में विकास आयुक्त चैतन्य प्रसाद की अध्यक्षता में एक विशेष समिति का गठन किया गया है। यह समिति हर दो माह पर सड़क सुरक्षा में उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगी और सुनिश्चित करेगी कि सुधारात्मक उपायों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन हो रहा है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, ट्रैफिक सर्वे रिपोर्ट में विभिन्न शहरों में जाम वाले स्थानों को चिह्नित किया गया है। इन जाम वाले स्थानों को सुधारने के लिए पुलिस के साथ-साथ परिवहन, पथ निर्माण और एनएच के अधिकारियों के समन्वय से प्रयास किए जाएंगे। इसके साथ ही, एनएच और अन्य सड़कों पर दुर्घटनाओं को कम करने के लिए ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई है। इन ब्लैक स्पॉट पर दुर्घटनाओं के कारणों की समीक्षा की जाएगी, जिसमें सड़क इंजीनियरिंग और गति-सीमा जैसे महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं। आवश्यक स्थानों पर साइनबोर्ड लगाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
राज्य में यातायात प्रबंधन और दुर्घटनाओं की वैज्ञानिक जांच को लेकर भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। पुलिस के साथ-साथ परिवहन और सड़क प्राधिकरण के अधिकारियों को इस दिशा में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसी संदर्भ में राजधानी के हार्डिंग रोड में 3 से 5 अक्टूबर तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सड़क दुर्घटनाओं की वैज्ञानिक जांच और साक्ष्य संकलन के तरीकों पर जोर दिया गया। इन प्रयासों से बिहार में सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने और ट्रैफिक जाम की समस्या के समाधान की दिशा में एक नई उम्मीद जग गई है। अब यह देखना होगा कि ये योजनाएं और प्रशिक्षण धरातल पर कितने सफल होते हैं