रांची। प्रदेश में लगभग 1000 करोड़ के खनन घोटाले के उजागर होने के पुर्व राज्य के सत्तापक्ष, विपक्ष समेत अधिकांश ब्यूरो क्रेट प्रेम की गंगा मे एक डुबकी लगाने के साथ एक बार दर्शन के लिए आतुर रहते थे। प्रेम के दर्शन से उनकी हर इच्छा पूरी हो जाती थी । चाहे उनकी सरकारी कार्य हो या व्यक्तिगत। प्रेम की गंगा जल में डुबकी लगाने के लिए हर संभव तन मन धन से दरबार दर्शन को दिन रात तैयार रहते थे। झारखंड में अब तक सरकार किसी की रही हो पर उनका अप्रत्यक्ष संचालन प्रेम के द्वारा ही होता था। कई लोगो ने इनका लाभ उठाया , आज अच्छी कुर्सी और पावर के साथ बने हुए है। हां यह बात और है की प्रेम की गंगा ईडी के प्रकोप से कुछ हद तक प्रदूषित होने के बाद अब सीधे उनके प्रकाश से ओझल होना चाहते है ।परन्तु अब भी लगातार उनके संदेश पर कार्य करते नजर आ रहे है। उनके भक्तजन को विश्वास है की प्रेम की गंगा जल्द स्वच्छ होकर अपनी पुरानी गति से बहेगी।
कोरोना काल के समय स्वास्थ्य विभाग में प्रेम की कृपा से भरपुर लाभ उठाया
राज्य में खान घोटाला हो या स्वास्थ्य विभाग में तैनाती, प्रोन्नति का मामला बिना प्रेम के आर्शीवाद के बिना पुरा नही होता था ।कोरोना काल के समय स्वास्थ्य विभाग में प्रेम की कृपा से भरपुर लाभ उठाया । प्रेम के आदेश और ईशारे पर करोड़ो करोड़ के स्वास्थ्य सेवा उपकरण , दवा की खरीददारी एक झटके में कर ली गई। जिस उपकरण की विभाग को जरूरत थी ही नही । विभाग के ही खास सूत्र का कहना है की राज्य में कोरोना आपदा भयावह रूप धारण करता जा रहा था । लोगो को टीका की आवश्यकता थी। केन्द्र सरकार ने मुफ्त टीका देने से मुंह मोड लिया था । राज्य सरकार ने टीका खरीददारी के लिए आकस्मिक निधि से स्वास्थ्य विभाग को तुरंत 285 करोड़ उपलब्ध करा दिये। यह दिनांक 19 मार्च 21 को किया गया । 20 मार्च 21 को स्वास्थ्य सचिव कोरोना ग्रसित हुए उन्हे स्थान्तरित कर नये सचिव को पदस्थापित कर दिया गया। बिडम्बना यह रही की उसी दिन केन्द्र सरकार ने सभी राज्य को वैक्सीन की आपूर्ति फ्री कर दी । जिस राशि से वैक्सीन की खरीदारी की जानी थी उससे स्वास्थ्य उपकरण की खरीद आरम्भ हो गई। सूत्र का कहना है की जो दवा और उपकरण विभाग में खरीदे गए और उसे पेपर पर जिला अस्पताल में भेजा गया उस समय उसकी जरूरत नही थी और न ही अस्पताल से मांगी गयी थी । प्रेम की प्रकाश गंगा में 285 करोड़ की जमकर बन्दर बांट की गई।
प्रेम की गंगा में विदेशी बहुमूल्य बारह कछुए की कहानी विचित्र है
सूत्र का कहना है की वित्त विभाग में भी प्रेम का प्रकाश की धमक थी। प्रेम की गंगा में विदेशी बहुमूल्य बारह कछुए की कहानी विचित्र है । प्रेम सागर में इस कछुए की चर्चा है। विदेश से लाए गए थे । ईडी ने भी दो कछुए का जिक्र किया था जबकी उनकी संख्या ग्यारह थी ,नौ कहां गए यह रहस्य का बिषय बना हुआ है। ईडी ने प्रेम को कई मामलो में आरोपी बनाकर जेल में बन्द किया है ।चर्चा है की उनके कृपा पात्र आज भी उनसे संदेश प्राप्त कर रहे है। ईडी की गिरफ्त दिनों दिन कसती नजर आ रही है ।प्रेम की नदी का क्या होगा यह कहना कठिन है।