वाराणसी। बाबा विश्वनाथ इस बार नये रजत सिंहासन पर 14 मार्च रंगभरी (अमला) एकादशी पर गौना कराने जायेंगे। पूरे 350 वर्ष बाद बाबा विश्वनाथ का नया रजत सिंहासन तैयार कराया गया है। शनिवार को टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास पर नये सिंहासन को ‘शिवांजलि’ की ओर से बाबा को अर्पित किया गया। महंत डॉ. कुलपति तिवारी ने बताया दो वर्ष पूर्व विश्वनाथ मंदिर स्थित महंत आवास का हिस्सा कॉरिडोर विस्तारीकरण के दौरान अचानक गिर जाने से बाबा की रजत पालकी का सिंहासन एवं शिवाला क्षतिग्रस्त हो गया था।
रंगभरी एकादशी महोत्सव के लिए गठित ‘शिवाजंलि’ के माध्यम से कश्मीर निवासी बाबा के भक्त मनीष पंडित ने चिनार और अखरोट की लकड़ी सिंहासन के लिए उपलब्ध कराई। काशी के जगतगंज निवासी काष्ठ शिल्पी शशिधर प्रसाद ‘पप्पू’ ने इसे आकार दिया। महंत ने बताया कि सिंहासन को दशाश्वमेध (भुतेश्वर गली) के कारीगर अशोक कसेरा ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिल कर तैयार किया है। खास बात यह है कि शशिधर प्रसाद और अशोक कसेरा दोनों ने ही बाबा का सिंहासन तैयार करने के एवज में कोई मेहनताना नहीं लिया है। इन दोनों का कहना है कि बाबा की सेवा का अवसर जीवन में पहली बार मिला है। यह अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।
‘शिवाजली’ के संयोजक संजीव रत्न मिश्र ने बताया कि बाबा की वर्तमान पालकी का सिंहासन महंत आवास के अचानक गिरने से क्षतिग्रस्त हो गया था। बाबा की पालकी में लगाने के लिए नये सिंहासन के लिये लखनऊ के शिवम मिश्रा के माध्यम से दिल्ली और कश्मीर के बाबा भक्तों ने सिंहासन के लिए काष्ठ औऱ रजत की व्यवस्था की थी।