अलीगढ़।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि बीते 100 वर्षों में यूनिवर्सिटी ने दुनिया के कई देशों से भारत के संबंधों को सशक्त बनाने का सराहनीय कार्य किया है। यहां से तालीम लेकर निकले तमाम विद्यार्थी सैकड़ों देशों में छाए हुए हैं। एएमयू में एक मिनी भारत का दर्शन होता है। यहां उर्दू के साथ हिंदी की पढ़ाई की जाती है। यहां फारसी है तो संस्कृत भी है। कुरान के साथ गीता भी पढ़ाई जाती है।
मोदी ने कहा कि समाज में वैचारिक मतभेद हो सकते हैं पर जब राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति की बात आती है तो मतभेद किनारे रख देना चाहिए। युवा साथी इस सोच से आगे बढ़ेंगे तो हर मंजिल हासिल हो जाएगा। मोदी ने कहा कि मजहब की वजह से कोई पीछे न छूटे सभी को आगे बढ़ने का समान अवसर मिले यही सबका साथ सबका विश्वास का मूल मंत्र है। पहले मुस्लिम बेटियों का स्कूल ड्रॉपआउट रेट 70% थी जो अब घटकर 30% रह गया है। मुस्लिम बेटियां शौचालय की कमी के कारण पढ़ाई बीच में छोड़ देती थी पर अब हालत बदल रहे है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्र-छात्राओं की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। एएमयू के 100 साल पूरे हुए हैं ऐसे में हॉस्टल के 100 छात्रों को स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में रिसर्च करनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया की नजर भारत पर है। इसलिए हम सबका एक लक्ष्य होना चाहिए कि भारत को कैसे आत्मनिर्भर बनाया जाए। उन्होंने कोरोना संकट काल में एएमयू की मदद की सराहना की।
मौके पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने सर सैयद अहमद खान को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है। राष्ट्र निर्माण में एएमयू का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वही एएमयू के चांसलर डॉ सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन ने कहा कि तमिल हासिल करना हर मुसलमान का फर्ज है। वो तालीम तालीम नहीं जिसका कोई लाभ ना हो। समारोह को कुलपति प्रोफेसर तारीख मंजूर और महिला कॉलेज की प्रिंसिपल नईमा खातून ने भी संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर एक विशेष डाक टिकट भी जारी की।