कोडरमा।
ढिबरा के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने को लेकर बुधवार को जिला टास्क फोर्स की टीम ने शहर में स्थित ढिबरा गोदामों पर छापेमारी करते हुए दो गोदामों को सील कर दिया। एसडीओ मनीष कुमार के नेतृत्व में की गई छापेमारी में तिलैया थाना अंतर्गत महाराणा प्रताप चौकी स्थित अनिल खाटूवाला के ढिबरा गोदाम में संचालक द्वारा वैध कागजात नहीं दिखाए जाने पर उक्त फैक्ट्री को देर शाम को टीम द्वारा सील कर दिया गया। वहीं टीम असनाबाद पेट्रोल पंप के पास स्थित आलोक भदानी व प्रदीप भदानी के माई का गोदाम पर भी छापेमारी करने पहुंची। मगर छापेमारी की भनक लगने व संचालक द्वारा फैक्ट्री बंद कर निकल जाने के कारण टीम द्वारा वहां छापेमारी नहीं की जा सके। टीम के पदाधिकारियों द्वारा लगभग 1 घंटे तक संचालक को मौके पर बुलाने के प्रयास किए जाने के बाद भी संचालक के वहां नहीं पहुंचने पर उक्त गोदाम को भी सील कर दिया गया। टीम में एसडीपीओ अशोक कुमार, खनन पदाधिकारी मिहिर सलकर, सीओ अनिल कुमार, थाना प्रभारी द्वारिका राम, सहित पुलिस के जवान शामिल थे।
छापेमारी के संबंध में एसडीओ मनीष कुमार ने बताया कि उपायुक्त के निर्देश पर ढिबरा के अवैध कारोबार को लेकर छापेमारी की गई है। छापेमारी के दौरान प्रारंभिक छानबीन में जो बातें सामने आई हैं उसे लेकर कार्रवाई की जा रही है। टीम द्वारा गोदाम में पाए गए ढिबरा के सैंपल भी जांच के लिए नमूने के तौर पर लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि ढिबरा के अवैध कारोबार को लेकर आगे भी कार्रवाई जारी रहेगी। छापेमारी के दौरान अनिल खाटूवाला के ढिबरा गोदाम में काफी मात्रा में ढिबरा और फ्लेक्स माइका का भंडारण पाया गया। टीम के समक्ष गोदाम के संचालक अनिल खाटू वाला ने बताया की उसके पास भंडारण लाइसेंस नहीं है।
उल्लेखनीय है कि जिले में 80 से अधिक बड़े व्यवसायियों के अलावा 100 से अधिक छोटे व्यवसायियों द्वारा ढिबरा का कारोबार काफी सालों से किया जाता रहा है। जिले में माईका का एक भी वैध खदान नहीं होने के बाद भी इतने बड़े पैमाने पर इसका व्यवसाय जंगलों से अवैध उत्खनन कर लाए जाने वाले ढिबरा के सहारे किया जाता रहा है। अवैध खनन से विभाग को हर साल लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान होता रहा है। जबकि जानकारी के अनुसार इन व्यवसायियों द्वारा प्रतिसाल 300 करोड़ का ढिबरा का व्यवसाय किया जाता रहा है। उल्लेखनीय हो की पिछले साल जुलाई माह में टास्क फोर्स की कार्रवाई में 7 ढिबरा गोदामों को सील किया गया था। जिसमें 4 को उपायुक्त के न्यायालय में लगभग चली 8 महीने की सुनवाई के बाद खोलने का आदेश पारित किया गया था। साथ ही वहां जब्त किए गए ढिबरा को नीलाम करने की बात कही गई थी।