झारखंड विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशियों के खिलाफ खड़े हुए बागी नेताओं के खिलाफ बीजेपी ने सख्त रुख अपना लिया है। पार्टी इन बागियों पर कड़ा कदम उठाते हुए उन्हें छह वर्षों के लिए निष्कासित करने की तैयारी में है। बीजेपी अपने अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे नेताओं की सूची तैयार कर रही है, जिन पर जल्द ही कार्रवाई हो सकती है।
बागी नेताओं ने नहीं लिया नामांकन वापस
पार्टी के शीर्ष नेताओं के मनाने के प्रयासों के बावजूद कई बागी नेताओं ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया है। इनमें गुमला से मिसिर कुजूर सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं। ऐसे बागी नेताओं का अडिग रुख पार्टी के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।
पहाड़िया समुदाय से अनदेखी का आरोप, सिमोन मालतो का BJP से इस्तीफा
बीजेपी के दिग्गज नेता सिमोन मालतो ने भी पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने पहाड़िया समुदाय की अनदेखी का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मालतो ने कहा कि इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पहाड़िया समुदाय से किसी को भी टिकट नहीं दिया, जिससे समुदाय में भारी रोष है। मालतो ने अपना इस्तीफा प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को भेजा है, और इसकी प्रति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को भी भेजी है।
मालतो का आरोप: “पारंपरिक वोट बैंक को किया गया नजरअंदाज”
सिमोन मालतो ने कहा कि पहाड़िया समुदाय हमेशा बीजेपी का समर्थन करता रहा है, लेकिन पार्टी ने इस बार समुदाय को नजरअंदाज कर दिया है। उन्होंने कहा कि इतने वर्षों तक पार्टी के लिए काम करने के बाद वे भारी मन से इस्तीफा दे रहे हैं। मालतो पहले भी वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ बरहेट सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन इस बार पार्टी ने गमालियल हेंब्रम को बरहेट से टिकट दिया है।
BJP छोड़ रहीं कई बड़ी हस्तियां, पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने भी थामा अलग रास्ता
पार्टी से नाराज होकर इस्तीफा देने वालों में झारखंड की पूर्व मंत्री लुईस मरांडी भी शामिल हैं, जो दुमका में हेमंत सोरेन के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं। इस बार लुईस मरांडी जामा से झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रही हैं। झारखंड चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में बढ़ती इस्तीफों की संख्या पार्टी की स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना रही है।
झारखंड चुनाव में बागियों का सामना कैसे करेगी BJP?
बीजेपी के लिए यह चुनाव सिर्फ विपक्षी पार्टियों से ही नहीं, बल्कि अंदरूनी बगावत से भी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। पार्टी को अब बागियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने के साथ-साथ अपने परंपरागत वोट बैंक को भी बचाए रखना होगा