कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह में किया शिरकत
Ranchi: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड के प्रति मेरा विशेष लगाव है। धरती आबा बिरसा मुंडा की धरती पर आना मेरे लिए तीर्थ यात्रा के समान है। यहां के लोगों से बहुत स्नेह मिला है। राज्यपाल के तौर पर मैंने यहां कई वर्षों तक काम किया है। वे शुक्रवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उच्चतर प्रसंस्करण संस्थान के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित शताब्दी समारोह को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2017 में इस संस्थान की तरफ से आयोजित किसान मेला का उद्धाटन किया था। मैं यहां पहले भी कई बार आ चुकी है। उस समय में मैंने लाह उत्पादन में अच्छा कार्य कर रहे किसानों को सम्मानित भी किया था। उस समय मुझे बताया गया कि किसान कैसे लाह द्वारा कैसे लाभान्वित होते थे। आज इस संस्थान के शताब्दी वर्ष पूरे होने पर मुझे अत्यंत खुशी हो रही है।
मुर्मू ने कहा कि जानकारी मिली कि जो रॉ लाह होता है वह 100-200 में भेजा जाता था लेकिन बाद में जब विदेश भेजा जाता था तो उसकी कीमत 3000-4000 होता था। मैं जब दौरा करती थी राज्य के अलग-अलग जिला में तो मैं पलामू गई थी। पलामू जाने पर मुझे पता चला कि पलामू का नाम पलाश, लाह और महुआ के नाम पर रखा गया है। हमारे देश के कई राज्य में लाह की फार्मिंग की जाती है। भारत के कुल उत्पादन का 55 प्रतिशत से अधिक लाख उत्पादन झारखंड में किया जाता है। भारत में लाह का उत्पादन जनजातियों के द्वारा किया जाता है। अंत में उन्होंने कहा कि मैं सभी किसान भाई बहनों, संस्थान से जुडे़ सभी लोगों, यहां उपस्थित सभी लोगों के स्वर्णिम भविष्य की कामना करती हूं।
किसानों के बारे में केंद्र और राज्य दोनों को सोचने की आवश्यकता : मुख्यमंत्री
शताब्दी समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छह वर्षों तक इस राज्य का मार्गदर्शन किया और आज देश को नई दिशा दिखा रही हैं। सोरेन ने कहा कि हेमंत सोरेन ने कहा कि किसानों को हमने सदियों से सिर आंखों पर रखा है। जय जवान जय किसान जैसे नारे देश में गूंजे हैं लेकिन किसान कितना मेहनत करता है, कितना जद्दोजहद करता है, ग्रामीण क्षेत्रों में किसान से पूछा जाए तो पता चलता है। आज जिस तरह से पर्यावरण में परिवर्तन है, जिस तरह से कभी कम बारिश, कभी ज्यादा बारिश, कभी सुखाड़ जैसी स्थिति है। सौ सालों में यदि हम किसानों की संख्या देखे तो बड़े पैमाने पर खेतिहर मजदूर बनने को मजबूर हैं। हमें इन्हें बचाने की आवश्यकता है। इसका हल और उपाय कैसे निकले इसके बारे में केंद्र और राज्य दोनों को सोचने की आवश्यकता है। वैकेल्पिक खेती के ओर किसान कैसे आगे बढ़े इसपर हमलोगों ने लगातार काम किया है।
सोरेन ने कहा कि आज यहां कृषि से जुड़े विषय पर बातें रखी जा रही है। हम आज किसानों की बात कर रहे हैं। हम किसानों के लिए बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करते हैं। कागजों में भी आंकड़ें बड़े-बड़े दिखाते हैं। आज हम 50-55 प्रतिशत लाह उत्पादन की बात करते हैं। पहले हम 70 प्रतिशत लाह उत्पादन करते थे। किसानों की आज क्या हालत है वो किसी से छिपा नहीं है।
देश की ग्रामीण और कृषि व्यवस्था में नए सुधार सराहनीय : राज्यपाल
राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा कि राष्ट्रपति ने छह वर्षों से अधिक राज्यपाल के रूप में झारखंड की सेवा की और राज्य के विकास के लिए उनका योगदान अविस्मरणीय है। उनकी सादगी, मृदु स्वभाव और जनता के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें एक “पीपुल्स गवर्नर” के रूप में स्थापित किया।
राज्यपाल ने कहा कि राज्य की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर करती है। राज्य के किसानों को खुशहाल बनाना ही हमारी समृद्धि का आधार है। प्रधानमंत्री किसानों की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना’ और ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ जैसी योजनाएं किसानों के लिए अत्यधिक लाभकारी सिद्ध हो रही हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री के नेतृत्व में ग्रामीण और कृषि व्यवस्था में नए सुधार हो रहे हैं, वह सराहनीय हैं।
रांची को कृषि शिक्षा एवं शोध का प्रमुख केंद्र और न्यूनत्तम उत्पादन मूल्य बढ़ाने का प्रयास करेंगे : शिवराज
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रांची को कृषि शिक्षा एवं शोध का प्रमुख केंद्र बनाएंगे। न्यूनत्तम मूल्य भी बढ़ाने का प्रयास करेंगे, जितनी लागत आता है, उसमें 50 प्रतिशत जोड़कर ही न्यूनत्तम प्रोडक्शन मूल्य दिया जाएगा। इस साल से 1500 से नहीं पांच हजार किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
शिवराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों की आय दुगुनी करना चाहते हैं। कृषि में उत्पादन बढ़ाना, घाटा कम करने, केवल धान, गेंहू से काम नहीं चलेगा। हमें दूसरे खेती में जाना होगा। आज भी हम लाह में 400 करोड़ का निर्यात करते हैं। आज ऐसी महिलाएं है जो लाख-लाख रुपये कमा रही हैं। हमारी आय बढ़ाने के लिए लाह अहम है। पलास्टिक से बचने के लिए भी इसका उत्पादन जरूरी है। उन्हाेंने कहा कि लाह के माध्यम से भी लखपति दीदी बनायी जा सकती है। हमारा लक्ष्य है कि लाह का उत्पादन दुगुनी हो जाए। यह वनोत्पाद है। इसलिए कृषि विभाग के अधीन में आता है। मेरा प्रयास होगा कि लाह का खेती कृषि विभाग के तहत आ जाए, ताकि कृषि विभाग का योजनाओं का लाभ इस खेती को मिल सके। कलस्टर आधारित प्रोसेसिंग का प्रयास करेंगे।