पटना।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए होने वाले मतदान को लेकर सोमवार को शाम 5:00 बजे प्रचार अभियान थम गया। पहले चरण के तहत 28 अक्टूबर को मतदान होगा। 71 सीटों के लिए पहले चरण में होने वाले मतदान के लिए कुल 1064 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। चुनाव के पहले चरण में वर्तमान सरकार के 8 मंत्रियों के भाग्य का भी फैसला होगा। जिसमें चार भाजपा और चार जदयू कोटे के मंत्री हैं। जिन मंत्रियों के किस्मत दांव पर लगे हैं उनमें कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार, शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा, ग्रामीण विकास मंत्री शैलेश कुमार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जय कुमार सिंह, परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला, राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल, श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा और अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण मंत्री बृजकिशोर बिंद शामिल है। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री विजय प्रकाश, रामेश्वर चौरसिया, राजेंद्र सिंह, श्रेयसी सिंह, भगवान सिंह कुशवाहा और मोकामा से बाहुबली विधायक अनंत अनंत सिंह की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
दो करोड़ 1406096 मतदाता करेंगे अपने मताधिकार का प्रयोग
पहले चरण के चुनाव के लिए खड़े 1064 उम्मीदवार के भाग्य का फैसला कुल 2 करोड़ 14 लाख 6हजार 96 मतदाता करेंगे। 71 सीटों के लिए होने वाले पहले चरण के चुनाव में पटना, बक्सर, भोजपुर सहित 16 जिले शामिल है। 54 जगहों पर सीधा एवं 17 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला की संभावना दिख रही है। चुनाव में 114 महिलाएं भी खड़ी है। इस बार के चुनाव को काफी रोचक माना जा रहा है।
सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार के निश्चय की साख केंद्र में
विधानसभा चुनाव को लेकर प्रथम चरण के चुनाव में एक और जहां नीतीश कुमार के साख दांव पर लगी है वहीं दूसरी ओर राजनीतिक मैदान पर दो नए चेहरे तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के राजनीतिक भविष्य की भी नींव पड़नी है। चुनाव में सुशासन बाबू कहे जाने वाले नीतीश कुमार के निश्चय की साख केंद्र में है।
प्रचार के अंतिम समय में मुद्दों से हटती दिखी पार्टिया
चुनाव को लेकर शुरुआती दौर में सभी पार्टियां मुद्दों की बात करती दिखी। मगर जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें नजदीक आती गई उनकी लड़ाई मुद्दों के बजाय व्यक्तिगत होने लगी। यह लड़ाई जिस तरह बाप-दादा, हमसे पूछो, उस राज का हाल जैसे जुमले तक भी पहुंच गई।
बिहार के चुनाव में काफी समय बाद गौण दिखे लालू प्रसाद यादव
इस बार के चुनाव में कुछ खास बातें भी देखने में मिली। यह पहली बार होगा जब राजद सुप्रीमो लालू यादव चुनाव मैदान में ही राजद के बैनर होर्डिंग से भी गायब है। हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से लड़ाई की धुरी उन्हें बनाने की कोशिश हो रही है। दूसरी ओर चुनावी रण में भाजपा के कद्दावर चेहरे और असल रणनीतिकार अमित शाह का ना होना भी चर्चा में है। पहले चरण के चुनावी रण में लगभग सारे प्रमुख चेहरे चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। नरेंद्र मोदी, राहुल गांधी भी जनसभाओं में अपनी पार्टी को बढ़त दिलाने का प्रयास कर चुके हैं। चुनाव में अगर मुद्दों की बात की जाए तो इस बार रोजगार का मुद्दा काफी प्रखर रहा है। इस मुद्दे को लेकर युवा मतदाताओं में कुछ खास संवेदनशीलता देखी जा रही है और शायद उन्हें निर्णायक भी माना जा रहा है
पहले चरण का मतदान होगा निर्णायक
3 चरणों में होने वाले बिहार विधानसभा के चुनाव का पहला चरण सभी दलों के लिए काफी निर्णायक होगी। चुनाव का यह पहला मैच बहुत हद तक आगे की रूपरेखा तय कर देगा। पहले चरण में जिसे भी बढ़त मिलेगी उसकी लड़ाई आगे आसान हो जाएगी। एक तरफा नतीजों की सोच के साथ शुरू हुआ यह दौर और अब रोचक मुकाबले में तब्दील हो चुका है। चुनाव का ग्राफ चढ़ते चढ़ते राजद पर बड़े हमलों ने जैसे इसे तेजस्वी बनाम बाकी की लड़ाई में तब्दील कर दिया हो।