रामगढ़।
नवरात्र के पहले दिन शनिवार को राज्य के एकमात्र सिद्धपीठ रजरप्पा मां छिन्नमस्तिके दरबार में आस्था का ज्वार फूट पड़ा। सुबह से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता रहा। माता के दर्शन को आतुर भीड़ वहां श्रद्धा से सिर झुकाया और मंगल कामना की प्रार्थना की। मालूम हो कि मां दुर्गे के अनेक रूपों में एक मां छिन्न मस्तिका भी है। लोगों की मान्यता है कि रात्र में मां देवी यहां विचरण करती है। दुर्गा की शक्ति रूप होने के कारण यहां चैत्र और शरदीय नवरात्रि में 9 दिन मां की विधिवत आराधना की जाती है। पुजारी असीम पंडा ने कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मन की मुराद पूरी होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां कभी कुलमणि महामान्य मेघा भूमि का आश्रम था। यहां के महाराज सूरथ देवी की आराधना करते थे। मुख्य मंदिर के चारों और हवन कुंड है और मुख्य द्वार पूर्वाभीमुखी है। उत्तर भाग में तांत्रिक घाट है। मुंड माला शोभित मां छिन्नमस्तिका के दोनों और 1 1 दिगंबर योगिनियां रक्तचाप करती खड़ी है।