Palamu: उग्रवादी संगठन टीपीसी के सबजोनल कमांडर दीपक रजवार उर्फ रंजीत जी ने सोमवार को पलामू एसपी कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया। सरेंडर करने पर पलामू के सहायक पुलिस अधीक्षक ऋषभ गर्ग एवं विश्रामपुर के एसडीपीओ सुरजीत कुमार ने फूलमाला पहनाकर सबजोनल कमांडर का स्वागत किया।
सबजोनल कमांडर दीपक पर झारखंड सरकार ने किसी तरह का कोई इनाम घोषित नहीं किया है। दीपक पर छतरपुर, विश्रामपुर, गढ़वा के बरडीहा, हरिहरगंज, हुसैनाबाद एवं मेदिनीनगर टाउन थाना में मामला दर्ज है। वह वर्ष 2017 से फरार चल रहा था। सरेंडर के बाद उसे आर्म्स एक्ट एवं अन्य मामलों में जेल भेजा जायेगा। इसके साथ ही स्पेशल ब्रांच से रिपोर्ट बनाकर झारखंड सरकार को भेजी जायेगी। रिपोर्ट के अनुसार सरकार के निर्देशानुसार दीपक रजवार को सरकारी लाभ दिया जायेगा। बाद में उसे ओपन जेल में रखने का निर्णय लिया जायेगा।
मौके पर पलामू के सहायक पुलिस अधीक्षक ऋषभ गर्ग ने कहा कि उग्रवादियों के खिलाफ जहां पुलिस गिरफ्तारी को लेकर कार्रवाई कर रही है, वहीं झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का भी लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। इसी से प्रभावित होकर दीपक रजवार और उसके परिजन पलामू के पुलिस अधीक्षक चंदन कुमार सिन्हा के संपर्क में था। दीपक मुख्य धारा से जुड़कर रहना चाहता था। इसी कारण उसने सरेंडर किया।
माओवादियों ने दी थी जान से मारने की धमकी, इसलिए शामिल हुआ टीपीसी में
सरेंडर करने के बाद जिले के हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के चौवाचट्टान के रहने वाले टीपीसी सबजोनल कमांडर दीपक रजवार उर्फ रंजीत जी (50) ने कहा कि 90 के दशक में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी का दस्ता उसके गांव में आता था और संगठन में शामिल होने के लिए दबाव बनाता था।
माओवादी में शामिल होने से इनकार करने पर इस संगठन के नक्सलियों ने जान से मारने की धमकी दी थी। इसी बीच माओवादियों से लड़ने वाला टीपीसी उग्रवादी संगठन सामने आया। वर्ष 2012-13 में टीपीसी में शामिल हुआ। इससे पहले वर्ष 1999 में कोशियारा रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए और नक्सल गतिविधियों में शामिल रहने के कारण 10 वर्ष तक जेल में रहे। 2009 में जेल से निकले। 2012-13 से 2018 तक टीपीसी में रहे और कई कांडों को अंजाम दिया, लेकिन अब मुख्यधारा में लौट कर सामान्य जीवन जीना चाहते हैं।