Koderma: अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर हुए डेढ़ करोड़ से अधिक के घोटाले मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपितों में कल्याण विभाग के रिटायर्ड क्लर्क मो. मोबिन और कम्पयूटर ऑपरेटर मो. हैदर का नाम शामिल है।
बता दें कि अल्पसंख्यक छात्रों को भारत सरकार की ओर से दिए जाने वाले छात्रवृत्ति का लगभग 1.5 करोड़ रुपए गबन करने के मामले में जिला कल्याण पदाधिकारी नीली सरोज कुजूर ने कोडरमा थाना में नवंबर 2022 में प्राथमिकी दर्ज कराया था। कल्याण विभाग ने जिले में फ्री मैट्रिक अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप में 10 विद्यालय के प्राचार्य के अलावे जिला कल्याण कार्यालय से रिटायर्ड क्लर्क मो मोबिन, क्लर्क प्रमोद कुमार मुंडा और कम्प्यूटर ऑपरेटर मो हैदर को आरोपी बनाया गया था।
कोडरमा में 1433 अल्पसंख्यक छात्रों के नाम पर तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए की राशि गबन मामले में अनियमितता की बात जब डीसी को पता चला तो उन्होंने अपर समाहर्ता से इस पूरे मामले की जांच करवाई। जांच में यह बात सामने आई कि फर्जी स्कूल और फर्जी छात्रों के नाम पर अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के नाम पर मिलने वाली राशि का गबन किया जा रहा है।
वित्तीय वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में 10 स्कूलों के 1433 छात्रों के नाम पर तकरीबन डेढ़ करोड़ की राशि विभाग के कर्मियों की मिलीभगत से गबन कर ली गई थी। कोडरमा में वित्तीय वर्ष 2017-18 से लेकर 2020-21 के दौरान कल्याण विभाग की ओर से अल्पसंख्यक छात्रों को दी जाने वाली प्री मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक और मैट्रिक सह मींस छात्रवृत्ति में गड़बड़ी का मामला सामने आया था। इसे लेकर कोडरमा डीसी आदित्य रंजन ने जांच टीम का गठन कर जांच कराई थी।
जांच टीम में एसडीओ, जिला कल्याण पदाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी शामिल किया गया था। जांच टीम ने फरवरी 2022 में डीसी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि की थी। जांच के दौरान 12 स्कूलों में से 10 से संबंधित रिकॉर्ड में गड़बड़ी की बात प्रमाणित हुई थी, जिन 1433 बच्चों की सूची मिली थी उनमें से एक भी बच्चे के खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं किये गये। इनमें से कई बच्चों के नाम और पता भी फर्जी पाए गए।
इतना ही नहीं जांच रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र था कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की जगह बाहरी युवाओं को छात्र के नाम पर छात्रवृत्ति का वितरण दिखाया गया है। कुल 1433 फर्जी छात्रों के नाम पर डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान करने का मामला सामने आया था। डीसी ने इस मामले में एफआईआर का आदेश दिया था और दिसम्बर में प्राथमिकी दर्ज होने के लगभग 6 महीने बाद दो लोगों की गिरफ्तारी हुई है।