Ranchi: राजस्थानी नव विवाहिताओं का 16 दिनों तक चलने वाला गणगौर पर्व का समापन 24 मार्च को होगा। होलिकादहन के दूसरे दिन अहले सुबह से इस पर्व की शुरूआत होती है। पहले चरण में इसे पींडिया कहा जाता है। इसमें होलिका दहन से राख से आठ पिंड व गोबर से आठ पिंड बनाए जाते हैं। इन्हीं पीडियों की पूजा प्रतिदिन होती है जिसमें समूह में नवविवाहिताएं शामिल होती हैं। अग्रवाल समाज, माहेश्वरी समाज, मारवाड़ी ब्राह्मण समाज की नवविवाहिताएं अमर सुहाग के लिए तथा कुंआरी कन्याएं अच्छे वर के लिए यह व्रत रखती है। गणगौर पूजने वालों के घरों में ईशर-गौरा (शिव-पार्वती) एवं अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। पूजा के अंतिम दिन महिलाएं और बालाएं अच्छे वस्त्र और आभूषण धारण कर गणगौर की पूजा करती है।
मारवाड़ी सहायक समिति एवं झारखंड प्रांतीय मारवाड़ी सम्मेलन के प्रवक्ता संजय सर्राफ ने कहा है कि गणगौर पर्व मारवाड़ी समाज का प्रमुख त्योहारों में से एक है। गणगौर पूजा हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को होती है इस दिन कुंवारी कन्या और सुहागन महिलाएं व्रत रखती है। माता पार्वती और साथ भगवान शिव की पूजा करती है। गणगौर दो शब्दों से बना है गण का अर्थ भगवान शिव और गौर का अर्थ पार्वती से है। वास्तव में गणगौर पूजन मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा का दिन नवरात्रि के तीसरे दिन यानी चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाने वाला गणगौर का त्योहार स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य प्राप्ति का पर्व है।
गणगौर का पहला और सबसे महत्वपूर्ण परंपरा मिट्टी के बर्तनों कुंडा में पवित्र अग्नि से होलिका की राख इकट्ठा करना और उनमें गेहूं और जौ के बीज बोना है। तथा 7 दिनों के बाद महिलाएं राजस्थानी लोकगीतों को मंत्रमुग्ध करते हुए गौरी और ईसर की रंग बिरंगी मूर्ति बनाती है। मान्यता है कि कामदेव की पत्नी रति ने भगवान शंकर की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया तथा उन्हीं के तीसरे नेत्र से भस्म हुए अपने पति को पुन: जीवन देने की प्रार्थना की। रति की प्रार्थना से प्रसन्न हो भगवान शिव ने कामदेव को पुनः जीवित कर दिया था तथा विष्णु लोक जाने का वरदान दिया । उसी के स्मृति में प्रतिवर्ष गणगौर का उत्सव मनाया जाता है। गणगौर पर्व पर विवाह के समस्त नेगाचार व रस्में की जाती है। होलिका दहन के दूसरे दिन से प्रारंभ होकर 16 दिनों तक गणगौर पर्व चलता है। 8 मार्च से शुरू हुई गणगौर पर्व 24 मार्च को गणगौर विसर्जन के साथ संपन्न होगी।