रांची। झारखंड स्टेट बार काउंसिल सहित जिला एसोसिएशन की रविवार की बैठक में दो दिनो तक आंदोलन और बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इस निर्णय के आलोक में अब राज्य भर के अधिवक्ता न्यायिक कार्यवाही में 10 जनवरी तक भाग नहीं लेंगे। इसको लेकर झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने सभी जिले के पदाधिकारियों को निर्णय से अवगत कराया है।
मालूम हो कि राज्यभर के अधिवक्ता अपनी चार सूत्री मांगो के समर्थन में 6 जनवरी से आंदोलनरत है। पहले कार्यक्रम के तहत 6-7 जनवरी को राज्यभर के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अलग रहे थे। आंदोलन की समीक्षा को लेकर 8 जनवरी को स्टेट बार काउंसिल, रांची के कार्यालय में आवश्यक बैठक हुई, जिसमें न्यायिक कार्य से अलग रहने का कार्यक्रम 10 जनवरी तक बढ़ा दिया है। मतलब कि न्यायालयो में 9-10 जनवरी को भी अधिवक्ताओं की ओर से कोई पैरवी नहीं की जाएगी।
काउंसिल के सदस्य संजय विद्रोही और एके रसीदी ने बताया कि मंगलवार तक राज्य के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से दूर रहेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा अधिवक्ताओं के हित को लेकर एकपक्षीय घोषणा की गई है, यह घोषणा सैद्धांतिक रूप से लागू की जाए। मुख्यमंत्री द्वारा संवाद में की गई घोषणाओं के बारे में किसी तरह की कोई जानकारी स्टेट बार काउंसिल को नहीं है, यह सिर्फ समाचार पत्रों में ही दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को एक निर्धारित समय सीमा में इन घोषणाओं को लागू करने का समय दिया जाना चाहिए था, ताकि अधिवक्ता उनकी घोषणाओं पर विश्वास कर सकें। बैठक में काउंसिल के सदस्य राम शुभग सिंह, महेश तिवारी, एके चतुर्वेदी, निलेश कुमार, महाधिवक्ता राजीव रंजन उपस्थित नहीं हुए थे।
इससे पहले रांची में स्टेट बार काउंसिल की बैठक राज्य के जिला बार एसोसि।एशन के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि अधिवक्ताओं के कल्याण को देखते हुए 10 जनवरी तक न्यायिक कार्य में अधिवक्ता दूर रहेंगे। कोर्ट फीस वापसी को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का निर्णय लिया गया।